अमित शाह को सुरक्षा देने के पीछे राजनाथ का सियासी दांव

rajnath 420-1-मो. आमिर अंसारी- अमित शाह हिन्दुस्तानी सियासत का एक ऐसा नाम जिसका स्वयं का क्या  वजूद है यह तो गुजरात ही नहीं बल्कि पूरा हिन्दुस्तान जानता है ! अमित शाह की राजनैतिक हैसियत की जब बात आती है तो सियासी गलियारों में यह गूँज आमतौर पर सुनायी देती है की अमित शाह ,नरेंद्र मोदी के दूत है ! जब अमित शाह गुजरात के बाहर अपना सियासी वजूद तलाशने के लिए निकले तो नरेंद्र मोदी भी तब तक हिन्दुस्तानी सियासत पर इतनी पकड़ बना चुके थे कि अटल-आडवाणी के फोटो तक भाजपा की प्रचार सामाग्री से गायब होने लगे थे ! इसी समय में नरेंद्र मोदी को भाजपा के ज़्यादातर वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर राजनाथ सिंह द्वारा चुनाव प्रचार समिति का प्रभारी बना दिया गया ! इस घटना के तुरंत बाद नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे बड़े सूबे यानी उप्र की कमान अमित शाह के हाथों में सौंप दी , जब अमित शाह को उप्र का चुनाव प्रभारी बनाया गया तब राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा आम थी कि अमित शाह को गुजरात की राजनीति से दूर करने का मोदी का यह एक कूटनीतिक फैसला है ! मोदी और अमित शाह के बीच सियासी इक्तेदार की खामोश और ठंडी जंग उस समय से ही चल रही थी जिस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और अमित शाह गुजरात के ग्रहमंत्री लेकिन इसी बीच जब अमित शाह सियासी उड़ाने भरना सीख गए तो अचानक इस उड़ान पर लगाम लगाई सोहराब उद्दीन एनकाउंटर ने, जिस दिन से अमित शाह का नाम इस एनकाउंटर में आया है उसी दिन से अमित शाह राजनैतिक वनवास का जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो गए ! अमित शाह के हाथों से गृहमंत्री का पद छीनकर सोहराब उद्द्दीन की लाश ज़मींदोस हो गयी !
और इस एक मामले ने अमित शाह को गुजराती सरहदों से इतना दूर कर दिया कि वह चाह कर भी इन सरहदों में अब प्रवेश नहीं कर सकते थे यानी देश की सबसे बड़ी अदालत ने यह ऐलान कर दिया था कि जब तक उक्त मामला विचारधरीन है तब तक अमित शाह गुजरात प्रदेश में प्रवेश नहीं कर सकते , यह तो रही अदालती बेढी जिसे तोड़ने की हिम्मत अमित शाह तो क्या कोई भी हिन्दुस्तानी कभी भी नहीं कर सकता था  !
अब हम बात करते है उस सियासी बेढी की जो नरेंद्र मोदी द्वारा अमित शाह के पैरों में बांधी गयी है यानी मोदी ने अमित शाह को गुजरात से दूर कर उन्हें लोकसभा चुनाव में उप्र का प्रभारी बना दिया जिसके कारण अमित शाह से गुजरात छूट गया ! लेकिन सवाल यह उठता है कि अमित शाह को गुजरात से बाहर कर आखिर मोदी का कौनसा राजनैतिक मक़सद पूरा होने वाला था तो इसका जवाब गुजरात प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में आनंदी बेन पटेल का नाम आने के पश्चात तमाम राजनैतिक पण्डितों को मिल गया !
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री की शपथ से पहले एक चर्चा मीडिया और सोशल मीडिया में आम थी कि अमित शाह को देश का गृहमंत्री बनाया जा सकता है या अमित शाह को प्रधानमंत्री कार्यालय का भी मंत्री बनाया जा सकता है !लेकिन जब मंत्री मंडल का शपथ ग्रहण समारोह हुआ तो पता चला कि अमित शाह शपथ ग्रहण समारोह में आये हुए अतिथियों का केवल स्वागत सत्कार करेंगे उन्हें किसी मंत्रीमंडल में कोई जगह नहीं दी जाएगी !
इस पूरे घटनाक्रम के पश्चात चूंकि मोदी की बदनीयती अमित शाह के प्रति जगजाहिर होना शुरू हो गयी थी यह चर्चा ख़ास वर्ग से निकल कर आम हो गयी और सियासी कयास लगाने वाले यह सोचने लगे कि नरेंद्र मोदी जब उस शख्स का भला नहीं कर रहे हैं जिसकी बदौलत आज वह सत्ता के सबसे ऊंचे सिंहासन पर बिराजमान है तब वह नए साथियों और सहयोगियों के प्रति कितने संवेदनशील होंगे इसका अंदाजा अमित शाह की हो रही बेगौरी से लगाया जा सकता है ! अमित शाह को जिस उत्तरप्रदेश का प्रभारी बनाया गया था आज उसी उप्र से भाजपा को इतनी सीटें मिली है कि यदि सिर्फ उप्र से प्राप्त सीटों को ही काम कर दिया जाये तो यह सरकार अल्पमत में चली जाएगी !
अमित शाह की बढ़ती इस राजनैतिक पैठ ने ही मोदी को बेचैन कर रखा है ! अमित शाह और मोदी के बीच पैदा हुए उस ईर्षा के तार को छु कर छेड़ने की कोशिश अब उन्ही राजनाथ सिंह ने की है जिन्होंने आडवाणी के विकल्प के रूप में नरेंद्र मोदी को भाजपा तथा संघ के लाखों कार्यकर्ताओं के सामने तमाम पार्टी के पुराने साथियों के मतभेद और विरोधों के बवजूद पेश कर दिया था !राजनाथ सिंह ने उस समय मोदी को इतने मज़बूत अंदाज़ में भाजपा के सामने पेश किया था कि दिग्गज नेता आडवाणी तक को भाजपा से इस्तीफा देना पड़ गया था !
इसी बीच चुनाव के दौरान उन कयासों ने राजनाथ के मन में सत्ता के सितार के तारों को छेड़ दिया जिन कयासों में यह कहा जा रहा था कि मतदान के पश्चात नरेंद्र मोदी की जगह राजनाथ सिंह देश के प्रधानमंत्री हो सकते है ! लेकिन यह हो न सका और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री चुन लिए गए राजनाथ सिंह के मन में उठती प्रधानमंत्री पद की टीस ने राजनाथ की बैचैन निगाहों को अबकी बार अमित शाह पर जा टिकाया ! लगता यह है कि राजनाथ सिंह ,अमित शाह को मोहरा बना कर शह-मात का वह खेल खेलना शुरू कर रहे हैं जिसके वह माहिर है !
यानी राजनाथ सिंह यह जान चुके हैं कि जो टीस उनके मन में प्रधानमंत्री पद की थी वह अब टूट कर बिखर चुकी है लेकिन एक उम्मीद की किरण राजनाथ सिंह को उन अमित शाह में दिखाई दी जिनके मन को आनंदी बेन पटेल के मुख्यमंत्री बनने के पश्चात वह ठेस संभवतः ज़रूर पहुँची होगी जिसकी चर्चा न तो वह कर सकते है और न ही इस दर्द को कहीं ब्यान कर सकते ! लेकिन इस दर्द को सिर्फ वही महसूस कर सकता है जिसने इस दर्द को सहा हो यानी राजनाथ सिंह ने अमित शाह के उस मर्म को ही हथियार बना लिया है जिसके चलते राजनाथ सिंह संभवतः अपनी राष्ट्रिय अध्यक्ष की कुर्सी पर जिस व्यक्ति को बैठालना चाहते है उसका नाम सबसे ज़्यादा बार और सबसे प्रबल ढंग से उछला है उस शख्स का नाम है अमित शाह , अमित शाह के राष्ट्रिय अध्यक्ष के ऐलान से पूर्व ही राजनाथ ने एक और ऐसा राजनैतिक दांव खेला है जिसके पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आश्चर्यचकित रह गए होंगे ! यानी राजनाथ सिंह ने बतौर ए गृहमंत्री भारत सरकार दो लोगों को केंद्र की z प्लस श्रेणी सुरक्षा दे डाली जिनमे पहला नाम अमित शाह का है और दूसरा नाम नितिन गडकरी का चूंकि राजनाथ सिंह के इस फैसले का चाह कर भी नरेंद्र मोदी विरोध नहीं कर सकते थे यदि मोदी अमित शाह को  दी जाने वाली सुरक्षा का विरोध करते तो उनके साथ खड़े रहने वालों की फहरिस्त उसी वक़्त छोटी हो जाती और गडकरी की सुरक्षा को बढ़ाये जाने के विरोध में मोदी इस लिए नहीं बोल सकते थे चूंकि आज भी गडकरी – मोदी से ज़्यादा संघ के चहेते हैं !
राजनैतिक चौपालों में यह चर्चा शुरू हो चुकी है कि  आडवाणी बनाम मोदी कि जंग जीतने के पश्चात अब राजनाथ ने मोदी बनाम अमित शाह की एक बहस पार्टी के भीतर खड़ी कर दी है ! आगामी सियासी सरगर्मी और कार करदगी को मद्देनज़र रखते हुए राजनाथ सिंह ने जो फैसले लिए है उसके लिए यही कहा जा सकता है कि भाजपा के वर्तमान अध्यक्ष ने भाजपा के ही पूर्व अध्यक्ष और आगामी कहे जाने वाले अध्यक्ष को सुरक्षा प्रदान कर यह ऐलान किया है कि देश के अच्छे दिन आये या न आये लेकिन भाजपा के अच्छे दिन अपने शबाब पर है !

4 thoughts on “अमित शाह को सुरक्षा देने के पीछे राजनाथ का सियासी दांव”

  1. apka ye lekh jamin se koso dur hai .kyuki apne ramayan nahi padhi jaha bhagwan ram ke liye hanuman,laxman aur bharat ne singhashan ko thokar mara .aap iraq ki tulna india mein nahi kar sakate.jaha ek bhai dushre bhai ko maar raha hai. main bhi partrakaar hu maine karib se bjp aur rss ko dekhe hai. mujhe lagta hai apko rss ke sikcjha sibir mein jana chahiye.

  2. आने दिमाग का इलाज करवा लो आप एसी बकवास कोरी कल्पना लिखते हो ये समझ लो आज भाजपा में केवल और केवल मोदी है और रही सर कार की बात तो बुना इजाजत जब राजनाथ सिंह अपनी पसंद का पीए नहीं रख सका तो मोदी के निचे काम करके साजिस कैसे फैला सकता .जहाँ तक शाह की बात है उसे नरेन्द्र मोदी से ज्यादा कोई समझ नहीं सकता ..तभी मोदी ने राम माधव को भाजपा में ले आये ..मोदी ना अटल है ना आडवानी जिससे कोई आँख मिला सकता …आज आँख मिलाने वालों की गत दिख ही रहा है

  3. वाह , दिमागी घोड़े दौड़ाने के लिए शुक्रिया। लगता है मोदी को देश में सबसे ज्यादा आपने ही समझा व जाना है इस से ज्यादा क्या? आप तो वैसे ही बहुत समझदार हैं

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