-गोपाल विजय नंदराय– आप सोच रहे होंगे की राज्य में 3/4 बहुमत की सरकार सत्ता में है फिर भी राजस्थान बिन सरकार कैसे ? प्रदेश में करीब 10 महीने पहले राज्य की जनता ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बढ़ चढ़ कर किये गये विकास के वादों और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा सुराज संकल्प यात्रा के दौरान किये गये वादों पर भरोसा करते हुए राजस्थान की जनता ने अपार जनसमर्थन देकर राजस्थान की सत्ता सौपी ।
उसके 6 महीने बाद हुए लोकसभा चुनावों में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने प्रदेश की 25 लोकसभा सीटो पर विजय हासिल कर मिशन 25 को पूरा किया ।
लेकिन पिछले 10 महीनो से जिस प्रकार राज्य सरकार का उदासीन रवैया विकास योजनाओं हो चाहे बढ़ते महिला अत्याचार के मामले , जयपुर डकैती और गैंगरैप की घटना , युवाओं को रोजगार के प्रति नकारात्मक रवैया , सामाजिक कल्याण की योजनाओं पर समीक्षा के नाम पर रोक हो चाहे मंत्रियो की बेलगाम बयानबाजी आदि सभी मोर्चो पर विफल रही वसुंधरा सरकार से जनता की उम्मीदे टूटने लगी है । इसी का नतीजा है की 4 सीटो पर हुए उपचुनावों में जहा भारतीय जनता पार्टी ने 4 महीनो पहले 157000 मतों से विजय प्राप्त की थी वहा उपचुनावों में कांग्रेस ने बढ़त प्राप्त करते हुए 3 सीटो पर विजय भी प्राप्त की ये विजय भले ही मतों से हुई हो लेकिन 157000 मतदाताओं का मात्र 4 महीनो में सरकार से मोह भंग हो जाना अकल्पनीय बहुमत के नशे में चूर सत्ताधारी भाजपा और मुख्यमंत्री के लिए खतरे की घंटी है ।
पिछले 10 माह के शासन में राजे ने समीक्षा के नाम पर पूर्ववर्ती सरकार द्वारा राज्य हित में शुरू कि गई महत्वपूर्ण विकास योजनाओं जैसे जयपुर मेट्रो रेल परियोजना हो या बाड़मेर रिफायनरी हो या राज्य के अलग अलग शहरो में चल रही हाउसिंग प्रोजेक्ट और jNurm के तहत चल रही परियोजनाए हो इन सभी पर या तो रोक लगादी गई है या budget में कटोती कर विकास कार्यो की रफ़्तार को रोक दिया गया है ।
राज्य में लगातार बढ़ रही महिला अताचार , दुष्कर्म की घटनाओं पर सरकार और महिला मुख्यमंत्री की चुप्पी भी राज्य की जनता को रास नही आरही है । वर्तमान में जयपुर शहर में हुई डकैती और गैंगरैप जैसी शर्मनाक घटना के अपराधियों को छोड़ पुलिस को मंत्री जी के कुत्ते की खोज में लगाना राज्य सरकार की अपराध और अपराधियों को पकड़ने में उदासीनता का परिचय देता है जो की शर्मनाक है ।
सुराज संकल्प यात्रा के दौरान राज्य के युवाओं से किया गया 15 लाख रोजगार देने का वादा किया गया था लेकिन 10 माह गुजर जाने के बावजूद सरकार द्वारा कोई भी भर्ती किसी भी पद हेतु नही निकाल कर बेरोजगार युवाओं जिन्होंने केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी , रोजगार की उम्मीद लगाये बैठे लाखो युवाओं को सरकार से निराशा ही हाथ लगी है । सरकार ने युवाओं के साथ दोहरा कुठाराघात करते हुए संविदा के तहत विभिन्न पदों पर लगे युवाओं को उन पदों से हटाकर उनके लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा कर अपने तानशाही रवैये का परिचय दिया है