कस्टमर केयर की आड़ में हो रही है लूट

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
आज के इस आधुनिक भौतिक युग में सभी को सुख सुविधाओं के सामान बाजार से खरीदने पड़ते हैं, जैसे टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, पानी की मोटर, मिक्सी, जूसर होम थियेटर, वाटर प्यूरीफायर, मोबाइल, टेबलेट, लेपटोप, कम्प्यूटर आदि-आदि। हजारो घरेलू चीजें, जिन्हें कई बड़ी-बड़ी कंपनियां बेचती हैं और इन कम्पनियों द्वारा ग्राहकों की सुविधा के लिए ग्राहकों को कस्टमर केयर नंबर भी दिए जाते हैं, जिससे उत्पाद में कभी भी कोई दिक्कत हो या खराब हो तो उस कस्टमर केयर के नंबर पर शिकायत लिखवा सके और उनका इंजीनियर आपके घर आ कर या जैसी भी उस कंपनी की पॉलिसी हो, उस अनुसार आपको सर्विस मिल सके। कस्टमर केयर की यह सुविधा लगभग सभी बेंकों ने भी चालू कर रखी है। इस मामले में प्राइवेट बैंक भी आगे हैं।
असल में इस सुविधा की आड़ में कस्टमर को लूटने का खेल भी चल रहा है। कुछ कंपनियों ने कस्टमर केयर के नंबर टोल फ्री वाले कर रखे हैं और कुछ ने बिना टोल फ्री वाले। जिसने 1800 से नंबर ले रखे हैं, वह तो सभी टोल फ्री हैं और इसके अलावा बाकी सभी नंबर चार्जेबल हैं। अर्थात टोल फ्री के अलावा अन्य नंबर कुछ कम्पनियों ने प्राइवेट टेलीफोन आपरेटर से लाइन लेकर कस्टमर केयर के फोन नंबर जारी कर रखे हैं। उपभोक्ता जब भी इन नम्बरों पर शिकायत या समस्या के लिए फोन करता है तो उनके चार्जेज लगने शुरू हो जाते हैं, फिर उपभोक्ता सोचता है कि कोई बात नहीं, पैसा लगता है तो लगे, किन्तु समस्या तो सॉल्व हो। लेकिन फोन लगते ही शुरू हो जाती है फोन के बिल को बढ़ाने की साजिश। यह होती है इस तरह:- पहले तो आएगा आप वेटिंग में हैं, कृपया थोडा इन्तजार करें और यह इन्तजार कभी कभी तो 1 मिनट से लेकर 7-8 मिनट और उससे ज्यादा तक हो जाता है, जिस कारण बिल बढ़ता रहता है। फिर आएगा स्वागत सम्बोधन कि कम्पनी आपका स्वागत करती है, वो भी इतना लंबा और बोरियत भरा होता है कि उपभोक्ता चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता। उसे मजबूरन पूरा सुनना ही पड़ता है। फिर बताई जाती हैं कंपनी की स्कीम और विशेषताएं, जिसका की आम उपभोक्ता से कोई लेना देना नहीं। और यह सब होता है कम्प्यूटराइज्ड, इस कारण उपभोक्ता लाचार बन कर रह जाता है। फिर पूछा जाएगा कि फलाने कार्य के लिए एक दबाये, दूसरे के लिए 2 और अन्य कार्य के लिए 3 दबायें। उसके बाद फिर वेटिंग कि हमारे कस्टमर केयर के अधिकारी किसी दूसरे कस्टमर की समस्या का समाधान करने में व्यस्त हैं, कृपया आप इन्तजार करें और वहां भी 1 मिनट से लेकर इन्तजार की कोई सीमा नहीं होती। इस कारण एक साधारण शिकायत लिखवाने में उपभोक्ता के 10 से 50 रुपये का बिल बन जाता है। पूरे दिन में यह घटना न जाने कितने ग्राहकों के साथ हिन्दुस्तान की कितनी कंपनिया यह प्रक्रिया दोहराती हैं और इस कारण कितनी बड़ी राशि मोबाइल कम्पनियों के पास पहुंच जाती है। एक अनुमान के अनुसार यह राशि लगभग 200 करोड रुपये वार्षिक तक या इससे भी अधिक बैठती हैं। इस राशि की बंदरबांट कंपनियां और मोबाइल आपरेटर कंपनियां आपस में करती हैं। इस प्रकर सुविधा के नाम पर उपभोक्ता को चूना लगाया जा रहा है।
-हेमेन्द्र सोनी, ब्यावर

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