इसे कहते हैं, जिम्मेदारी से भागना

*रोडवेज के घाटे पर राजस्थान के परिवहन मंत्री यूनुस खान का बयान*
‘पे कमीशन नहीं देंगे, घाटे के चलते रोडवेज नहीं दे सकती सातवें वेतन का लाभ’, खान ने लगाया आरोप, हड़ताल को कांग्रेस और रिटायर कर्मचारी चला रहे हैं।

प्रेम आनंदकर
अब खान से कुछ सवाल, रोडवेज के कर्मचारी भी वोटर हैं। उनके भी वोट से आपकी पार्टी भाजपा की सरकार बनी। और यदि अब भी बनी तो इन वोटरों के वोट भी भूमिका निभाएंगे। राजकोष सरकारी है और आप किसी भी निगम या बोर्ड के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ अपनी जेब से नहीं देंगे। पिछले करीब बारह दिन से राजस्थान में रोडवेज बसों के चक्के केवल सरकार की लापरवाही की वजह से जाम हैं। इससे यदि रोडवेज को रोजाना लाखों रुपए की आमदनी का घाटा हो रहा है तो इसके लिए भी सरकार ही जिम्मेदार है। ऐसे में उनका यह बयान पूरी तरह अपना पल्लू झाड़ लेने और सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने वाला है कि हड़ताल को कांग्रेस चला रही है। यदि इस आरोप को कुछ देर के लिए सही मान भी लिया जाए तो यह भी मान लेना चाहिए कि फिर तो नाम मात्र विधायकों वाले विपक्षी दल कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा से ज्यादा मजबूत है। और यदि ऐसा नहीं है तो सरकार को हड़ताल खत्म कराकर अपनी मजबूती साबित करनी चाहिए। अब यदि खान के इस बयान को भी सही मानें कि रोडवेज घाटे में है तो अर्थशास्त्र के अनुसार इसके लिए भी सरकार और प्रबंधन ही जिम्मेदार होता है। यदि रोडवेज घाटे में है और सरकार कर्मचारियों को सातवां वेतनमान नहीं दे सकती है तो फिर यह सवाल भी उठता है कि सरकार घाटे के बावजूद रोडवेज को क्यों चला रही है। क्यों नहीं वह मध्यप्रदेश की तर्ज पर रोडवेज को बन्द कर इसके कर्मचारियों को अन्य विभागों में समायोजित कर देती। मध्यप्रदेश में पिछले पंद्रह साल से भाजपा की सरकार है, जो करीब दस साल पहले ही रोडवेज को बन्द कर चुकी है। रोडवेज को घाटे से उबारना सरकार की जिम्मेदारी है और वह कर्मचारियों की मांगों से मुंह नहीं मोड़ सकती है। उसे अपनी नीतियां सुधारने के साथ इस काम में कर्मचारियों का भी सहयोग लेना होगा। कर्मचारियों को भी सौगन्ध खानी होगी कि यदि सरकार उनकी मांग मान ले तो वह रोडवेज को घाटे से उबार कर दिखाएंगे।
-प्रेम आनन्दकर, अजमेर, राजस्थान। सम्पर्क-08302612247

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