सोचें, समझें और रहिए सचेत

बाबूलाल नागा
बाबूलाल नागा
15वीं राजस्थान विधानसभा के लिए 7 दिसंबर 2018 को चुनाव होने जा रहे हैं। पांच साल बीतने वाले हैं। उम्मीदवार एवं मतदाता फिर आमने सामने हैं। प्रदेश का मतदाता सात दिसंबर का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। उनके दिमाग में न जाने कितने ही सवाल उमड़ रहे हैं। कोई सरकार को सबक सिखाने की सोच रहा है तो कोई फिर से मौका देने की। सवालों के जवाब भी उनके पास ही हैं। बस जरूरत है थोड़ा सचेत होकर वोट देने की। सोच समझकर वोट देंगे तो फिर आपको पांच साल के लिए पछताना नहीं पड़ेगा।
राज्यभर में चुनावी दंगल ने खासा जोर पकड़ लिया है। नेताओं को टिकट मिलते ही प्रचार के दौर भी शुरू हो जाएगा। नेतागण आपके दरवाजे खटखटाएंगे। हाथ जोड़कर आपसे राम-राम करेंगे। ढोल नगाड़ों से गली-मौहल्ले में रैलियां निकालेंगे। बड़ी-बड़ी घोषणाएं और झूठे वादे करेंगे। मुंगेरी लाल की तरह हसीन व सुंदर सपने दिखाएंगे। पैसे व दारू का लालच देकर आपके वोट खरीदने की कोशिश करेंगे, पर इसमें भला नया क्या है ? पांच साल पहले भी तो यही सब कुछ हुआ था। दरअसल, नेताओं को आपकी नहीं बल्कि आपके वोट की कीमत याद आई है। तभी तो फिर से आपके दरवाजे पर खिंचे चले आएंगे। सबसे पहले तो इन नेताओं से जरा यह पूछ लीजिएगा कि आखिर ये पांच साल तक थे कहां ? ऐसे कौन से काम में व्यस्त थे जो मिलने की फुरसत भी नहीं मिली और आज मुंह उठाए वोट मांगने कैसे चले आए ? अब यह आपको ही तय करना है कि फिर से इन नेताओं के झांसे में आएं या नहीं। वोट डालने से पहले उम्मीदवार की सही जांच करें। अच्छे व सच्चे उम्मीदवार को ही चुनें। अपने मत का प्रयोग करने से पहले उम्मीदवारों से यह बातें जरूर पूछ लें कि वे महिलाओं के बारे में क्या सोचते हैं? मजदूरों दलितों, आदिवासियों के बारे में उनकी क्या सोच है? भय से मुक्ति, रोटी और काम के अधिकार, जातिवाद धर्म और साम्प्रदायिकता, सूचना का अधिकार और पारदर्शिता, भ्रष्टाचार, राजनीति में अपराधीकरण, विदेशी कंपनियों का भारत में दखल और वैश्वीकरण आदि के बारे में इन उम्मीदवारों व नेताओं की अपनी समझ और आचरण क्या है? साथ ही उनकी राजनीतिक पार्टी की क्या विचारधारा हैं? अगर कोई राजनीतिक दलों या नेताओं की सोच इन सब से परे है तो उन्हें वोट न देने से जरा भी ना हिचकिचाएं। साथ ही अपना वोट उन्हें भी कभी न दें जो धर्म, जाति व सम्प्रदाय की बात करते हंै। धर्म या जाति के नाम पर लोगों को लड़वाकर जो समाज को बांटना चाहते हैं।
आप राजनीतिक दलों व उम्मीदवारों से सवाल पूछें। उनसे पूछें कि इस देश, समाज और आम आदमी की भलाई के बारे में वे क्या करेंगे। उनका अपने चुनाव क्षेत्र के लिए क्या कार्यक्रम है ? राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों का लेखा जोखा भी जरूर देखें। उनके कार्यों का मूल्यांकन करें। उन्होंने गरीबों के लिए क्या किया। क्या अस्पतालों में दवाइयों व दूसरी सुविधाओं के लिए कभी आवाज उठाई? महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ कभी मुंह खोला? राशन के गेहंू और केरोसीन में हो रही कालाबाजारी के विरुद्ध कुछ किया? टूटी फूटी सड़कों, बंद पड़ी लाइटों की तरफ ध्यान दिया? बूढ़े बेसहारों के लिए कभी कुछ सोचा? जिस उम्मीदवार को आप चुन रहे हैं क्या वह वास्तव में अगले पांच साल तक जवाबदेह रह पाएगा? आप चाहे तो उम्मीदवारों के शपथ पत्रों की भी जांच करें कि कहीं आपका उम्मीदवार किसी आपराधिक गतिविधि से तो नहीं जुड़ा है। याद रखिए, यह मौका आपको पांच साल बाद मिला है। आपका एक गलत फैसला पांच साल बाद आए इस अवसर को खो देगा। अगर आप सुनहरे कल की कल्पना संजोए बैठे हैं तो अपने वोट का प्रयोग सोच समझकर ही करें। अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें ताकि एक जनहितकारी साफ सुथरी और ईमानदार सरकार राजस्थान राज्य को देने में आप मददगार बन सकें। अतः अच्छी तरह ठोक बजाकर ही अपना नेता चुनें।

(लेखक विविधा फीचर्स के संपादक हैं) (संपर्क- 335, महावीर नगर, सेकंड, महारानी फार्म, दुर्गापुरा, जयपुर-302018 फोनः 0141-2762932 मोबाइल-9829165513)

error: Content is protected !!