मेरा संगीत तो अल्लाह का तोहफा है

नाहिद आफरीन
नाहिद आफरीन
बाबूलाल नागा
असम की एक 16 साल की किशोर गायिका नाहिद आफरीन के खिलाफ लगभग पचास मुसलिम धर्मगुरुओं ने फतवा जारी कर दिया। उसका कसूर सिर्फ इतना है कि अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उसने संगीत को चुना और वह गाना गाती हैं। लेकिन नाहिद इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वह किसी भी तरह के फतवे के आगे नहीं झुकेंगी और अपना गाना जारी रखेंगी। आखिर इस आवाज के बलबूते ही वह ऊचाईयां छू रही है।
एक प्रतिभाशाली किशोरी और बेहतरीन गायिका ऐसे कथित ‘फतवे’ का आज शिकार हो रही है। उसकी तरक्की कुछ कट्टरपंथियों को रास नहीं आ रही है। दलील दे रहे हैं कि नाहिदा ने आंतकवाद और आईएसआईएस के खिलाफ गीत गाए हैं। उसके खिलाफ मध्य असम के होजई और नागांव जिलों में असमिया भाषा में कई पर्चे बांटे गए। इन पर्चों में फतवा और फतवा जारी करने वालों के नाम भी थे। दरअसल इन फतवों में लोगों को ये दिखाया गया कि 25 मार्च को असम के लंका इलाके के उदाली सोनई बीबी कॉलेज में 16 साल की नाहिद को परफॉर्म करना है। और ये पूरी तरह से शरिया के खिलाफ है। इसलिए ये फतवे आफरीन को लोगांे के सामने गाने से रोकने के लिए जारी किए गए है।
नाहिद आफरीन साल 2015 में म्यूजिकल रिएलिटी टीवी शो इंडियन आइडल जूनियर की फर्स्ट रनर अप रहकर गायकी में शोहरत हासिल की लेकिन आज धर्म गुरु इस किशोरी को सार्वजनिक मंच पर गाने से रोक रहे हैं। इस कदम की कई संगठनों ने निंदा भी की है। असम राज्य सरकार ने नाहिद आफरीन सुरक्षा की गारंटी देनी पड़ी। नाहिद कहती हैं, ‘‘पहली बार फतवे के बारे में सुनकर धक्का लगा लेकिन फिर मुझे कई मुसलमान गायकों से प्रेरणा मिली। संगीत मेरे लिए खुदा की देन है और मुझे संगीत खुदा से तोहफे के तौर पर मिला है। अगर मैं इसका सही इस्तेमाल न करूं तो आखिरकार जाकर खुदा की अनदेखी करना होगा। इसलिए मुझसे जितना हो सकता है, मैं अपना संगीत जारी रखूंगी।‘‘
बाबूलाल नागा
बाबूलाल नागा
सवाल है कि आखिर गीत-संगीत से जुड़े ऐसे मामलों में कट्टरपंथियों का दखल कितना उचित है। सच तो है कि ये सब लोग भी कट्टरपंथियों की महिला विरोधी मानसिकता की गिरफ्त में हैं। समाज में पुरुषवादी मानसिकता इस कदर हावी है कि महिलाओं को कदम कदम पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। फतवों के बारे में एक खास बात यह है कि अक्सर ये फतवे औरतों के बारे में दिए जाते हैं। इसीलिए इन फतवों का बड़ा गंभीर असर इन औरतों की जिंदगी पर पड़ता है। उनके मान सम्मान और आजादी पर चोट पहुंचाते हैं ये फतवे। यह कोई पहला मामला नहीं है जब संगीत को लेकर इस तरह का कोई फतवा जारी हुआ है। भारत के मुस्लिम कट्टरपंथी बरसों से ऐसे फतवे निकालते हैं। इनका वर्तमान आधुनिक दुनिया से कोई सरोकार नहीं। बहरहाल, नाहिद बेहद प्रतिभाशाली गायिका हैं। ऐसी घटनाएं उन पर नकारात्मक असर भी डाल सकती हैं। लेकिन अच्छा यह है कि उन्होंने अपने खिलाफ किसी भी अभियान से नहीं डरने की बात कही। (लेखक विविधा फीचर्स के संपादक हैं)

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