इन दिनों जैसे ही किसी नेता के मुंह से कुछ निकलता है, मीडिया तुरंत उसका पोस्ट मार्टम करने लग जाता है। सच कहें तो मुंह से निकलता नहीं, बल्कि जबरन मुंह में ठूंस दिया जाता है। मीडिया सवाल ही ऐसे करता है कि नेता को जवाब देना पड़ जाता है। फिर उसकी हां या ना के अपने हिसाब से मायने निकाल लिए जाते हैं।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को ही लीजिए। उन्होंने अपनी ओर से कहीं नहीं कहा कि मोदी पीएम इन वेंटिंग हैं, अथवा पार्टी की ओर दावेदारी कर रहे हैं। उनसे पूछा गया था कि क्या मोदी प्रधानमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं, इस पर उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि मोदी हर दृष्टि से प्रधानमंत्री पद के लायक हैं। इसका अर्थ ये कत्तई नहीं होता कि वे भाजपा की ओर से पेश किए जा रहे हैं अथवा वे दावेदारी कर रहे हैं। मगर अर्थ ये ही निकाला गया कि वे मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने के पक्ष में हैं। न केवल अर्थ निकाला गया अपितु उस पर बड़ी बड़ी स्टोरीज तक चलाई जाने लगी।
कल्पना की कीजिए कि अगर वे कहतीं कि मोदी दावेदार नहीं हो सकते तो उसके कितने खतरनाक मायने होते। सीधी से बात है कि वे ये तो किसी भी सूरत में नहीं कह सकती थीं कि वे दावेदार नहीं हो सकते। उन्हें तो कहना ही था कि हां, दावेदार हो सकते हैं, जो कि एक सच भी है। इसी सच को जैसे ही उन्होंने स्वीकारोक्ति दी, मीडिया ने तो भाजपा की ओर से मोदी को प्रधानमंत्री ही बना दिया।
मीडिया का अगर यही हाल रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि नेता लोग मीडिया के सामने आना ही बंद कर देंगे कि वे कुछ का कुछ अर्थ निकाल लेते हैं। इसके अतिरिक्त वे मीडिया की इस आदत का फायदा भी उठा सकते है और जो बात उन्हें राजनीति के बाजार फैंकनी होगी, उसका हल्का का इशारा कर देंगे।
-तेजवानी गिरधर
2 thoughts on “सुषमा ने कब कहा कि मोदी पीएम इन वेटिंग हैं?”
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aapke patra ajmernama me bhi kuch nam ajmer ki vidhayak ki davedari ko lekar hai . jinka aaj koi dawa nahi hai ,sayad ye aapka unke liye dawa ho sakta hai
आदरणीय संजय जी, माफ कीजिएगा, दोनों का परिपेक्ष अलग है, जरा गौर कीजिए