सीमा हैदर को लेकर अनाप शनाप बकवास

प्रिंट और इलैक्टॉनिक मीडिया में यूं तो मौलिक रूप से बहुत फर्क है, मगर षीर्शक के मामले में और भारी अंतर है। प्रिंट में कंटैंट का कम से कम षब्दों में सटीक हैडिंग लगाने की परंपरा रही है। हालांकि अब स्टाइलिष हैडिग भी लगाए जाने लगे हैं, मगर टीवी चैनल और यूट्यूब वीडियो में हैडिेग लगाने का अंदाज ही निराला है। जो जितना ज्यादा चटपटा हैडिंग लगाता है, तुकबंदी वाले सब हैडिंग बनाता है, वही अधिक आकर्शित करता है। यहां तक कि प्रष्नवाचक चिन्ह लगा कर ऐसे हैडिंग लगाए जाते हैं, जिसका कटेंट पूरे वीडियो में नहीं होता, या फिर आखिर में मामूली सा होता है, ताकि हैडिंग के चक्कर में देखने वाला क्लिक करे और अधिक से अधिक व्यूअर काउंट हों। इसका सबसे ताजा उदाहरण है सीमा हैदर मामला, जिसको लेकर बेसिर पैन की अनाप षनाप बकवास की जा रही है। सनसनी फैलाने के लिए कुछ भी परोसा जा रहा है। चूंकि सीमा हैदर नाम टेड कर रहा है, इस कारण उसके नाम पर कई झूठे और फर्जी वीडियो सोषल मीडिया पर बिखरे पडे हैं। कोई सीमा को गर्भवति बताने से नहीं चूक रहा तो कोई इसके लिए सचिन को बधाई दे रहा है, कोई सीमा के बीमार होने पर खुदकषी की कोषिष की खबर चला रहा है तो कोई दोनो पक्षों के लोगों को उकसा कर भडकाउ बयान दिलवा रहा है। रिपोर्टर को पता होता है कि सीमा व सचिन को पूछताछ के लिए ले गई, है पर जानबूझ कर यह कह रहा होता है कि दोनों न जाने कहां गायब है, कहीं डर के माने फरार तो नहीं हो गए। नई जानकारी कुछ नहीं होती, मगर उसी जानकारी को नए सनसनीखेज अंदाज में पेष किया जा रहा है। उनका सारा जोर ऐसे फर्जी एंगल पर रहता है, जो दर्षक को लिंक को क्लिक करने को मजबूर कर दे। हालांकि हो यह केवल थंबनेल या डिस्क्रिप्षन में रहा है, स्टोरी में इससे मुतल्लित कुछ भी नहीं होता है। मार्केटिंग और टीआरपी की इस अंधी दौड देख कर बहुत कोफत होती है।

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