न्याय व्यवस्था पर एक सवाल

दोस्तों, आज एक सवाल, जो जनचर्चा में है। निचली अदालत के फैसले को जब सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से गलत ठहरा देता है तो प्राथमिक स्तर पर कडा फैसला करने वाले को क्या आर्थिक या अन्य किस्म का दंड देने वाले का प्रावधान नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसके फैसले से खामियाजा भुगतने वाले ने जो खोया है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती। इसके अतिरिक्त गलत फैसले की वजह से नीचे से उपर तक पहुंचने में सिस्टम का जो समय बर्बाद हुआ, विद्वान न्यायाधीषों व वकीलों की उर्जा का जो नुकसान हुआ, उसका क्या? और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि अगर गलत फैसला करने पर दंड का प्रावधान होगा तो यह उम्मीद की जा सकती है कि फैसले और अधिक सावधानी से करने की प्रवृत्ति प्रोत्साहित होगी। इससे न्याय व्यवस्था के प्रति विष्वास बढने की आषा की जा सकती है। बेषक ये सवाल आम आदमी की मोटी बुद्धि की उपज हैं, दंड प्रावधान होने पर क्या न्यायाधीषों की निर्णय लेने की स्वतंत्रता पर इसका बुरा असर पडेगा, यह संविधान विद ही जानते होंगे। जो भी हो, मगर कोई तो उपाय होना चाहिए।

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