Medical Council of India दिल्ली से भरमार और भरपूर कागज़ात मुझको सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत आज शाम ही प्राप्त हुए हैं। जिसमें भारत सरकार और MCI की विदेश से डिग्री प्राप्त भारतीय ऩागरिकों के प्रति दोगली और दोमुंही जनविरोधी नीति का पूरा पर्दाफ़ाश हो गया है।
विशेषकर पाकिस्तानियों के मामलें में तो यह एमसीआई वाले और निजी अस्पतालों वाले तो अब कोर्ट रूम में मेरे सामने हाहाकारी रूप से फंसेंगे ही….
पाकिस्तानियों को रेजीडेंट मेडिकल आफिसर बिना उचित प्रक्रिया और बिना उचित व जरूरी कागजातों पर चैरिटीज़ के छद्म नाम पर तो बना कर MCI ACT 1956 की धारा 14(1) का भरपूर दुरूपयोग किया ही जा रहा था,और हम भारतीय नागरिकों के अधिकार और नौकरियां इन पाकिस्तानियों में बांटी जा रही थी, अब इसी तरह ट्रेनिंग का नाम लेकर इन्हे यह बंदरबांट की जा रही है क्योंकि पिछले 1 साल से चलायी जा रही सशक्त मुहिम के कारण चैरिटीज़ का नाटक अब पाकिस्तानियों और उनके संरक्षकों के लिये गले की हड्डी बन गया है,जल्दी ही सब मेरे साथ कोर्ट रूम में दिखेंगे।
ऐसे कई सौ केसेज के कागजात आ गये हैं जिनमें अफगानी,नेपाली,श्रीलंकन,पाकिस्तानी,चीनी,मलेशियन,इंडोनेशियन,सीरीयन,फिलीस्तीनी,नाईजीरीयन आदि शामिल हैं।
पर किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पासपोर्ट और वीजा सहित Authorized and Compulsory job,training से संबंधित वीजा,के किसी प्रकार के कागजात इनके आवेदनों की फाईल में है ही नहीं और ना ही इनकी डिग्री सहित बतलाई जा रही नॉलेज को जांचने की कोई व्यवस्थाएँ भारत सरकार की ओर से ही है।
बोलो सही जा रहे हैं हम…?
सुधीर व्यास, जोधपुर की फेसबुक वाल से
अजमेरनामा और गिरधर तेजवानी जी का हार्दिक आभारी हूँ कि इस पोस्ट को जनहित में व्यापकता से दृष्टिकोण प्रदान कर प्रकाशनीय बनाया.