इससे तो यह खेल ही डूब जायेगा

विकास कुमार गुप्ता
विकास कुमार गुप्ता

70 के दशक में क्रिकेट भारत के सुदूर गांवों में उतरने लगा, तब मैदान में एक ओर गिल्ली डंडे चलते थे तो दूसरी ओर कुछ बच्चे सामूहिक रूप से तीन डंडियों के आगे खड़े होकर क्रिकेट के चैके-छक्के लगाना सीख रहे थे। तब उनके पास न तो बाजार से लाये उन्नत किस्म के बल्ले थे और न ही बढि़या दर्जे की गेंद। लकड़ी के फट्टे को बैटनुमा बनाकर और टप्पा खाने वाल काॅर्क की गेंद से मनोरंजन के लिए खेला जाने वाला यह खेल मानों भारतीय गांवों में परंपरागत खेलों की पीछे ढकेलने के लिये मैदान पर उतर पड़ा। इस दशक के उत्तरार्द्ध में पूरे देश में क्रिकेट का जादू सर चढ़कर बोलने लगा तो गांव के आस-पास छोटे कस्बों में भी पार्चामेन्टेड बल्ले और चमड़े की गेंदंे मिलने लगी। तब ढाई रुपये की काॅर्क की लाल गेंद को ग्यारह रुपये की लेदर गेंद हटाने में जुट गई और धीरे-धीरे बाजार में काॅर्क की जगह पहली बार लेदर की गेंद प्रयोग की जाने लगी। बेहद सख्त और मोटी सीवन वाली गेंद कम टप्पा खाकर तेजी से निशाने पर जाती थी। इतना ही नहीं इसकी स्विंग काॅर्क की गेंद से ज्यादा तीखी होती थी। संभवतः क्रिकेट में थोड़े बदलाव के साथ आज भी यही गेन्द काम आती है। उस समय लोग लीली थाॅमसन के गेंदबाजी के दीवाने थे और पिच पर लम्बे समय टिके रहने वाले सुनील गावस्कर क्रिकेट के देव थे। लूले चन्द्रशेखर की गुगली और यार्कर गेंदे पहली बार सुनी गयी थी तो बिशन सिंह बेदी कप्तानी के साथ-साथ अपने समय के बेहतर स्पिन गेन्दबाजों में हुआ करते थे। 6 दिन तक अनवरत चलने वाले क्रिकेट टुर्नामेन्टों ने भारत के लगभग सभी देशी खेलों को औंधे मुंह गिरना शुरू किया। कबड्डी, गुल्ली डंडा, फुटबाॅल, हाॅकी, खो-खो, पहलवानी और कुश्ती जैसे तमाम पारंपरिक खेल संरक्षित खेलों में शामिल होते गये क्योंकि तब उन्हें क्रिकेट के बुखार ने अधमरा कर दिया। पहले विश्वकप जीतने के बाद तो गली मुहल्लों तक में आउट और छक्के के गूंज सुनाई देने लगी। पैड, ग्लाॅब्स, हेलमेट लगाये दिनभर क्रिकेट के नजारे आम हो गए। इतना ही नहीं, हल जोतते किसान, काम करते मजदूर और घर में चूल्हा-चैका करते पढ़ी-लिखी गृहणियों तक ने क्रिकेट को लगभग आत्मसात कर लिया था। यह स्थिति तो गांव की रही। शहर तो मानों पगला से गये थे। स्थिति यहां तक आयी कि भारत और पाकिस्तान के होने वाले मैच को देखने के लिए महानगरों तक के सन्नाटे और मंदी जैसे माहौल दिखने लगे। लोग दफ्तरों से छुट्टियां ले-लेकर घरों में अपनी तीन पीढि़यों के साथ बैठकर क्रिकेट का लुत्फ उठाने लगे और धीरे-धीरे छोटी-छोटी शर्तों के साथ क्रिकेट खिलाडि़यों के आउट होने, छक्के मारने और कैच लेने की बातों पर शर्तें लगाने लगीं। यह सब कुछ आनंद अतिरेक के कारण था जिसे क्रिकेट ने पैदा किया था।
तब अस्सी के दशक तक घर-घर टेलिविजन पहुंच चुका था। इन्हीं दिनों इंदिरा गांधी ने राष्ट्रमंडल खेल के आयोजन के प्रसारण को श्वेत-श्याम से रंगीन किया। रामानन्द सागर का प्रख्यात धारावाहिक रामायण इसी बीच प्रसारित होना शुरू हुआ तो कुछ दिनों के लिए क्रिकेट का बुखार थमा जरूर लेकिन रुका नहीं। तब घरों में बैठकर लोग छोटी-मोटी शर्ते हार-जीत के नाम पर लगाते थे। कुछ लोग तो मुर्खता पूर्ण तक हरकतें करने से बाज़ नहीं आते थे जैसे कि स्थान बदल दंे तो अमुक खिलाड़ी आउट हो जाएगा या फिर पानी पी लें तो भारतीय टीम के छक्के लग जाएंगे। तब किसी के जेहन में भी यह बात नहीं आई रही होगी कि यही क्रिकेट एक दिन कलंक बन जाएगा और दारा सिंह का बिन्दू और श्रीसंत जैसे खिलाड़ी भी क्रिकेट की धज्जियां उड़ायेंगे और इसके मुख पर कालिख पोत देंगे। तब यह भी नहीं लगा था कि बाॅलीवुड के सितारे और राजनीति की चैकड़ी इस विदेशी खेल को पूंजी निवेश की तरह लेंगे और पैसा कमाने के लिए लड़कियां तक भेजी जायंेगी। ताजा स्पाॅट फिक्सिंग ने तो क्रिकेट में सट्टेबाजी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए। ‘आॅपरेश मरीन ड्राइवः यू टर्न’ के जांबांजों की आंखें भी खुली की खुली रह जाएंगी ऐसा पुलिस महकमे ने भी कभी नहीं सोचा होगा।
15 मई क्रिकेट के इतिहास का सबसे गहन और काला दिन ही कहा जाएगा जब पुलिस के इस आॅपरेशन में राजस्थान राॅयल्स के तीनों खिलाडि़यों को धर दबोचा गया और उनसे मिले राज में जो कुबूलनामा हुआ वह न सिर्फ क्रिकेट के प्रति नफरत पैदा करता है बल्कि इस खेल को भी बेहद शर्मिन्दगी के साथ प्रस्तुत करता है। तथ्य और आकड़े कुछ भी हों लेकिन आइपीएल 6 स्पाॅट फिक्सिंग मामले ने क्रिकेट के भीतर के खेल को बेपर्दा कर दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार इसमें बाॅलीवुड के कई बड़ी हस्तियां भी शामिल हंै। एक अनुमान के अनुसार अकेले गुजरात के सौराष्ट्र से ही करीब 3 हजार करोड़ का साप्ताहिक आवागमन सटोरिये किया करते थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने श्रीसंत, जीजू और चन्द्रेश पटेल उर्फ जुपिटर से जो जानकारियां हासिल कीं और होटलों के सीसीटीवी फुटेज से जो साक्ष्य मिले वो बेहद चैंकाने वाले हैं। इस आंधी में नये खिलाड़ी  शामिल मिले, साथ ही बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवास के दामाद गुरनाथ मयप्पन और चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान धौनी की पत्नी साक्षी भी इसकी आंच से बच नहीं पायी। सम्भव है कि साक्षी से भी पुलिस पूछताछ करे जबकि मयप्पन को गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि इस मामले में गिरफ्तारी होने पर साक्षी ने ट्वीट किया, ”कुछ तो लोग कहंेगे, लोगों का काम हैं कहना।“
क्रिकेट की दुनिया पहली बार दागदार हुई हो। इससे पहले भी मैच फिक्सिंग के खुलासे हो चुके हैं। खबरंे तो यहां तक है कि कई पूर्व क्रिकेटर और क्लबों के लिये खेल रहे खिलाड़ी कुछ ही लाख रुपये के लिये इस भद्र खेल को कलंकित कर रहे हंै। इनमें ऐसे कई खिलाड़ी शामिल हैं जो बड़े क्रिकेटरों के साथ खेल चुके हंै या फिर उनके दोस्त हैं। ऐसे खिलाडि़यों में दिल्ली स्पेशल सेल ने पूर्व रणजी खिलाड़ी मनीष गुडेवा को औरंगाबाद एवं दो अन्य फिक्सरों को औरंगाबाद से गिरफ्तार किया। रेलवे के लिये खेल चुके रणजी खिलाड़ी बाबूराव यादव का भी नाम इसमें आ रहा है। पकड़े गये लोगों में सुनिल भाटिया और किरण डोले उर्फ मुन्ना भी शामिल हैं। प्रमुख सट्टेबाजों में अश्वनी अग्रवाल उर्फ टिंकू मंडी है। क्रिकेट की यह कलंक कथा सिर्फ रुपये की लेन-देन तक ही सीमित नहीं। लड़कीबाजी, शाॅपिंग, पांच सितारा होटलों में मौजमस्ती के मामले भी सामने आए है।
सूत्रों के अनुसार सटोरिये जिस लड़की को खिलाडि़यों से मिलने के लिये बुलाते उस लड़की का नम्बर सेव कर लेते और फिर कई बार उन लड़कियों को दोबारा फोन करके उनसे मिलते थे। इस तरह रूप और रुपये का धंधा क्रिकेट के मुँह पर कालिख पोत रहा है। ऐसा लगता है कि
दुबई से लगता था सट्टा
स्पाॅट फिक्सिंग के लिए सुनील भाटिया, किरण डोले, मनीष गुडेवा तीनों मिलकर अजीत चंदीला को तैयार करते थे और इस प्रकार इनके द्वारा दिये जा रहे सिग्नल को दिल्ली स्थित टिंकू मंडी तक पहुंचाया जाता था। मंडी दुबई के अपने साथियों के सहयोग से सट्टा लगवाता था। इसी परिप्रेक्ष्य में पुलिस बाबूराव यादव नामक खिलाड़ी को भी खोजने में लगी है। मनीष और बाबू राव यादव दोनों दोस्त बताये जा रहे हंै। एक अधिकारी की मानें तो, सट्टेबाजी का यह शर्मनाक खेल दाउद इब्राहिम की शह पर चल रहा था। लेकिन खिलाडि़यों के इनसे सीधे सम्पर्क के बारे में अभी अनश्चितता है। इस खेल को खेलने के लिए अनेकों प्रकार के प्रलोभन जैसे पैसे से लेकर लड़कियों तक के प्रयोग किये गये, पांच सितारा होटलों में पार्टियों से लेकर महंगी शाॅपिंग भी। स्पेशल सेल की माने तो स्पाॅट फिक्सिंग में मीडिया की धमकी वाली रिपोर्ट बेबुनियाद है। इस मामले को लेकर अधिकारियों ने संकेत दिये हैं,”पकड़े गए खिलाडि़यों की रिमांड खतम होने पर उन्हें न्यायालय से दोबारा रिमांड पर लिया जायेगा।“
आईपीएल 2010 के भी कई मुकाबले फिक्स थे
आयकर विभाग की आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के रिपोर्ट के अनुसार 2010 में भी आईपीएल के कई मुकाबले फिक्स होने के सबूत मौजूद हैं। इसमें अनेकों खिलाडि़यों के शामिल होने का मामला सामने आ रहा है। इस रिपोर्ट में सीधे-सीधे एक कप्तान को भी संलिप्त बताया गया है।
राजस्थान रॉयल्स ने स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में शामिल एस. श्रीसंत, अजीत चंडीला और अंकित चव्हाण के साथ समझौते को खत्म कर दिया है। राजस्थान राॅयल की मालकिन शिल्पा शेट्टी ने इस मामले पर हैरानी भी जताई थी, आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कुछ मालिकों को 2010 के दौरान मैच फिक्सिंग की जानकारी थी।
लेखक विकास कुमार गुप्ता pnews.in के सम्पादक है इनसे 9451135000, 9451135555 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

2 thoughts on “इससे तो यह खेल ही डूब जायेगा”

  1. Mere is cricket se hi taras aata h. Kya isase desh ka bhala hone vala h? Kyo nahi america, japaan, ruchia, china jaise desh cricket khelte h? Aaj desh yuvao ko barbat karne k liye criket or filme kaafi H. Kyoki Aaj Ke Yova Sri Ram, sri Krishna, sri swami dyanand Saraswati, swami Vivekanand, Swami Parmhans, bhagatsingh, mangal Pande, chandrashekhar Aazad, subhashchandra Boss, lala Lajpat Roy, vipinchandra Pall, balgangadhar Tilk aadi Ko Chhodkar cricket K Khiladiyo Or Filmi Hero Ko Prerna Srot Mante H. Ye Yovao Ko Gart Me Dubane Jaisa H Or Desh Vikash Me Inki Koi Bhumika Nahi H. Me Tom Likhne Vale Ko Bhi Kahana Chahunga Ki Desh Ke Sachhe Hiro Jo Sainik Sabki Surksha Karate H Uske Baare Me Aapko Likhne Or Sochne Ki Fursat Kyo Nahi H ?

  2. Aakhir Aapko Is Khel Ki Itni Chinta Kyo Hoti H Desh Ki Kyo Nahi ? Samaz Me Nahi Aata Ki Is Desh Ka Midia Bhi Esa Kyo Ho Gayaa H.

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