हिंदू धर्म का मोदी छाप हिंदुत्व से कोई नाता नहीं है

narendra-modi-333अहं ब्रह्मस्मि यानी अनहलहक! … नरेंद्र भाई मोदी को कुछ लोग हिंदुत्व का नवोन्मेषक मान कर चल रहे हैं। लेकिन इस हिंदुत्व का उस सहिष्णु हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है जिसकी कल्पना आदि शंकराचार्य ने अहं ब्रह्मस्मि या अनहलहक के रूप में की थी। अद्वैतवाद और वेदांत में समाहित हिंदू धर्म का मोदी छाप हिंदुत्व से कोई नाता नहीं है। क्या जो हिंदू कांग्रेस को, सपा को, बसपा को, राजद को, जदयू को, वाम दलों को, द्रमुक अन्ना द्रमुक और यहां तक कि मुसलिम लीग को वोट देते हैं वे क्या हिंदू नहीं हैं? अगर नहीं हैं तो फिर देश में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। जिस हिंदी पर आप गर्व करते हैं वह मुसलमानों की देन है। अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर को मुसलिम नवाब शुजाउद्दौला ने बनवाया था। चित्रकूट के राम जानकी मंदिर को जमीन औरंगजेब ने दी थी। मलिक मोहम्मद जायसी वह कवि थे जिन्होंने अवधी का संस्कृत से प्रेमालाप कराया। यह मैं नहीं आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है। मालूम हो कि तुलसी ने मलिक मोहम्मद जायसी की नकल की है। इसीलिए तुलसी ने कभी भी मुसलिम शासकों या समुदाय की निंदा नहीं की है। उलटे वे तो खुद ही लिखते हैं- मांग के खाइबो को मसीत में सोइबे को।

रसखान को भक्तमाल ने 52 वैष्णवों में शामिल किया है। ध्यान रहे कि रसखान कोई हिंदू नहीं हुए थे उनकी मजार आज भी कृष्णधाम में है। वे दिल्ली के शासक वंश से थे। उन्होंने लिखा है-
छांड़ि नगर हित साहिबी, दिल्ली नगर मसान।
छिनहिं बादशाह वंश की, ठसक छांड़ि रसखान।।
इसी तरह अब्दुर्रहीम खानखाना कोई हिंदू नहीं थे वरन् वे तो अकबर के नौरत्नों में से थे। उनके पिता महान मुगल सम्राट अकबर के संरक्षक थे। जिस तरह के कवित्त रहीम ने लिखे हैं वैसे वे कट्टर हिंदू नहीं लिख पाएंगे जो इस नव हिंदुत्व के पीछे पगलाए घूम रहे हैं। रहीम को दोहा है-

रे मन भज निसि बासर, श्री बलबीर।
जो बिन जांचे टारत, जन की पीर॥

जब मुसलमान इस देश के शासक थे तब उन्होंने हिंदुओं का बाल बांका नहीं किया तो आज उनके साथ भेदभाव क्यों होगा। लेकिन बहुसंख्यक हिंदू मुसलिम विरोधी नहीं है बल्कि वे अल्पसंख्यक हिंदू मुसलिम विरोध की राजनीति कर रहे हैं जो अज्ञानी हैं। http://www.bhadas4media.com

वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के फेसबुक वॉल से.

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