दिल्ली में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं पक्ष के साथ साथ विपक्षी दलों की राजनीतिक सक्रियता बढ़ती जा रही है। सत्ता पक्ष की ओर से शीला दीक्षित ने अगर पूरी राजधानी को सरकारी होर्डिंगों से भर दिया है तो दिल्ली में पहली बार जोर आजमाइश करने जा रहे आम आदमी पार्टी की ओर से आटो रिक्शावालों को निशाना बनाया गया है। पूरे शहर में दौड़नेवाले आटोवालों के पिछवाड़े आम आदमी पार्टी के बैनर टंगे नजर आ रहे हैं। ऐसे में बाकी बची भाजपा भी अपने लिए मुद्दा तलाशती फिर रही है। बैनर पोस्टर वार में तो वह बाकी दोनों दलों की पिछलग्गू बनी नजर ही आ रही है, अब उसने अरविन्द केजरीवाल की सफेद टोपी को शिकस्त देने के लिए काली टोपी भी पहन ली है।
भारतीय जनता पार्टी जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा राजनीतिक दल है, वहां काली टोपी पहनने का रिवाज है और आरएसएस के लोग अपनी काली टोपी और हाफ पैन्ट की वजह से ही पहचाने जाते हैं। लेकिन अब दिल्ली में जब अरविन्द केजरीवाल ने टोपीवार शुरू किया तो नकल करने में माहिर भाजपा वालों ने अपने सिर पर भी काली टोपी पहन ली है। भाजपा ने यह काली टोपी बिजली आंदोलन के नाम पर पहनी है और प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल की अगुवाई में भाजपा दिल्ली में बिजली आंदोलन तो चलाना चाहती है लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाई है।
पहले भी विजय गोयल अरविन्द केजरीवाल का पीछा करते हुए बिजली आंदोलन के नाम पर घड़ियालू आंसू बहा चुके हैं और अब एक बार फिर बिजली की कीमतों में हुई पांच प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के नाम पर दिल्ली सरकार को घेरना चाहते हैं और जनता को बताना चाहते हैं कि वे सरकार में आये तो दिल्ली में बिजली की कीमतों में 30 प्रतिशत तक कमी ला सकते हैं। बिजली आंदोलन के लिए छपे पर्चे में भाजपा कहती है “भाजपा का मानना है कि अगर इन बिजली कंपनियों में मोबाइल कंपनियों की तरह प्रतियोगिता हो, सीएजी आडिट हो, बिजली का उत्पादन दिल्ली में हो एवं कुछ और कदम उठाये जाएं तो दिल्ली में बिजली की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।”
भाजपा का कहना है कि दिल्ली प्रदेश में कुल 30 लाख बिजली कनेक्शनों में 22 लाख बिजली कनेक्शन ऐसे हैं जो प्रतिमाह 200 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करते हैं ऐसे में दिल्ली सरकार द्वारा दामों में की गई बढ़ोत्तरी का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। यही कारण है कि विजय गोयल की अगुवाई में भाजपा दिल्ली में बिजली को ही अपना मुद्दा बनाना चाहती है लेकिन यह मुद्दा तो पहले ही अरविन्द केजरीवाल ले उड़े हैं। अब भाजपा की यह दलील सुनेगा कौन कह नहीं सकते, लेकिन अरविन्द केजरीवाल की गांधी टोपी को जवाब देने के लिए विजय गोयल ने भाजपा कार्यकर्ताओं को काली टोपी जरूर पहना दी है। दिल्लीवालों के मन में काली टोपी को लेकर भले ही कोई सहानुभूति आये या न आये, लेकिन संघवालों के मन में विजय गोयल को जरूर सहानुभूति पैदा हो जाएगी। आखिरकार, संघ के गणवेश को उन्होंने राजनीतिक जामा जो पहना दिया है। http://visfot.com