नीतेश राणे ने दी मोदी के विकास मॉडल को चुनौती

nitesh raneनरेन्द्र मोदी के लिए ‘नी’ नाम ही संकट का दूसरा नाम बनता जा रहा है। पहले नीतीश से लंबी अदावत और कुट्टी के बाद अब पड़ोसी महाराष्ट्र के नीतेश राणे ने मोदी के विकास मॉडल को चुनौती देते हुए मुंबई में रहनेवाले गुजरातियों को कहा है कि अगर गुजरात में मोदी ने इतना ही विकास किया है तो वे लोग यहां मुंबई में क्या कर रहे हैं। नारायण राणे के बेटे नीतेश ने हालांकि यह टिप्पणी ट्विटर पर की है लेकिन उनकी टिप्पणी फैलते फैलते टीवी के न्यूजरूम तक पहुंच गयी और नीतेश के ट्वीट को गुजराती विरोधी बयान बताकर उनको कटघरे में खड़ा कर दिया गया है।

नीतेश राणे नारायण राणे के छोटे बेटे हैं और बड़े भाई नीलेश की तर्ज पर अभी तक चुनावी राजनीति में नहीं उतरे हैं। शिवसेना से कांग्रेस में पधारे पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे अपने दोनों बेटों को भी साथ ही कांग्रेस में ले आये हैं। एक बेटा नीलेश तो राजनीति में जा चुका है और वह इस वक्त रत्नागिरी से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद है, जबकि नीतेश राणे प्रहार नामक मराठी अखबार छापने के साथ साथ मराठी स्वाभिमान की राजनीति करते हैं। बाल ठाकरे के इस नारया की पूरी राजनीति कांग्रेस में रहते हुए भी बिल्कुल बाल ठाकरे स्टाइल में ही आगे बढ़ रही है। अपना अखबार, अपना कारोबार और अपना विस्तार।

नीतेश भी नारायण राणे के उसी तरह नौजवान मराठी माणुस हैं जैसे बाल ठाकरे ने राज ठाकरे को विकसित किया था, या फिर आदित्य ठाकरे को विरासत दी थी। आक्रामकता और मराठी स्वाभिमान के दम पर अपनी स्वीकार्यता कायम करवाने के लिए किसी भी अनहद को छू लेने से कोई परहेज नहीं। नारया के राजकुमार कांग्रेस में रहते हुए भी मराठी संस्कृति और स्वाभिमान को अपना आधार बनाकर ही राजनीति करते हैं। बीते कुछ सालों में मुंबई में नारायण राणे के पुत्रों की चर्चा बिल्कुल शिवसेना स्टाइल में किये जा रहे काम की वजह से ही होती रही है। कभी बंद धड़क के नाम पर तो कभी मराठी संस्कृति की रक्षा के नाम पर। नारायण राणे के सुपुत्रों की पहचान वह नहीं है जो आमतौर पर किसी कांग्रेसी नेता की होती है।

इसलिए अगर नारायण के छोटे राजकुमार नीतेश राणे ने नरेन्द्र मोदी के विकास मॉडल को निशाना बनाते हुए गुजराती समुदाय को कटघरे में खड़ा किया है तो इसके पीछे कांग्रेस को मिलनेवाला संभावित फायदा कम, मराठी माणुस की राजनीति गैर मोदीवादी समर्थन हासिल करना ज्यादा है। मुंबई की भू राजनीतिक परिस्थिति समझनेवाला कोई भी व्यक्ति नीतेश के इस बयान के महत्व को समझता है। यह परंपरागत शिवसेना या मनसे के उन बयानों और अभियानों से अलग है जो भैया लोगों के खिलाफ दिये जाते रहे हैं। अगर मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है तो वहां का वित्तीय कारोबार कोई और नहीं बल्कि यही गुजराती समुदाय संभालता है। वित्तीय कारोबार के आधार शेयर बाजार पर गुजरातियों का पूरा दबदबा है और थोक से लेकर खुदरा कारोबार तक गुजराती समाज मुंबई में किसी भी दूसरे समाज से ज्यादा ताकतवर तरीके से मौजूद है। इसलिए नीतेश का यह मराठी राष्ट्रवाद उनके लिए राजनीतिक तौर पर उतना फायेदमंद नहीं होगा जितना भैय्या समाज के बारे में दिये गये बयान से शिवसेना या मनसे उठाते रहे हैं।

फिर भी, नीतेश के बयान में दम है। टीवी पर जब नीतेश को सफाई के लिए बुलाया गया तो नीतेश ने उसी साफगोई से अपनी बात सामने रखी जिस साफगोई से उन्होंने तीन दिन पहले ट्वीट किया था। नीतेश का कहना है कि उनका बयान सांप्रदायिक या फिर किसी समुदाय विशेष के विरुद्ध नहीं है। वे तो सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि अगर मुंबई के गुजराती नरेन्द्र मोदी को देश का सबसे बेहतर मुख्यमंत्री मानते हैं तो उन्हें गुजरात में जाकर ज्यादा अच्छा व्यापार करना चाहिए। नीतेश को शायद पता हो कि न हो, गुजराती समाज का बड़ा वर्ग यह काम बहुत पहले शुरू कर चुका है। महाराष्ट्र से बड़े पैमाने पर उद्योग धंधे और कारखाने गुजरात की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। रही बात वित्तीय राजधानी बदलने की, अगर किसी दिन वह बदल गई तो मुंबई वह मुंबई भी नहीं रहेगी जिसके दम पर नीतेश जैसे नेता दम भरते हैं।

फिर भी नीतेश के इस तर्क में दम है कि आप जिस राज्य में रहते हैं उस राज्य के मुख्यमंत्री की तारीफ करने की बजाय पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री की तारीफ करें, तो यह कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है? जो भी हो, नीतीश के बाद अब नीतेश ऐसे दूसरे नेता जरूर बन गये हैं जो मोदी के विकास मॉडल को खारिज कर रहे हैं। http://visfot.com

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