राजस्थान की तस्वीर मैली

जयपुर । राजस्थान की आर्थिक सामाजिक जातिगत जनगणना ने प्रदेश में 56 हजार लोगों द्वारा इंसानी मैला हाथ से ढोने की तस्वीर उजागर की है जबकि केन्द्र सरकार का मानना है कि पूरे देश में यह काम करने वालों की संख्या 1 लाख 16 हजार है। ऐसे में संभवत: राजस्थान की तस्वीर ही सबसे मैली है।

केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग ने इस बारे में राजस्थान सरकार से रणनीति बनाने के लिए कहा है।

केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता मंत्री मुकुल वासनिक ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस कुप्रथा को खत्म करने करने की योजना बनाकर केन्द्र को अवगत कराने के लिए कहा है। वहीं राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग और चिकित्सा विभाग के एक अन्य अध्ययन के मुताबिक राजस्थान में मॉडर्न लाइफ स्टाइल में भाग दौड़ बढ़ती जा रही है। जिसकी वजह से पैदा होने वाला तनाव कई बीमारियों का कारण बनता जा रहा है। इस तनाव और भागदौड़ ने दूसरी कई बीमारियों के साथ नई समस्या को जन्म दिया है। यह समस्या है नपुंसकता ओर बांझपन की। यदि आंकड़ों की माने तो राजस्थान में नपुंसकता पुरुषों की तादाद में लगातार इजाफा हो रहा है।

एक दशक में नपुंसकता के आंकड़ें 10 से बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच गए हैं। इसके साथ ही शराब, तम्बाकू की बढ़ती आदत और तनाव ने हालात और खराब कर दिए हैं।

एक दशक पहले 10 प्रतिशत पुरुषों में नपुंसकता थी, जो अब बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई है। आधुनिक लाइफ स्टाइल ने आदमी को गहरे तक प्रभावित किया है। जिसका असर प्रजनन क्षमता पर भी दिख रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल पुरुषों में ही यह समस्या बढ़ रही है।

महिलाओं में भी बांझपन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पुरुषों की तुलना में एक प्रतिशत ज्यादा महिलाएं इस समस्या से ग्रस्त हैं। इसका कारण भी पुरुषों की तरह महिलाओं में बढ़ना तनाव और स्ट्रेसफुल लाइफ जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही कम उम्र में शादी होने से भी महिलाएं बांझपन का शिकार हो जाती है।

अध्ययन के मुताबिक जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती हैं। महिलाओं में एग्स बनने कम हो जाते हैं। लिहाजा देर से शादी करना बांझपन का एक कारण बन जाता है। जॉब और घर की जिम्मेदारियों ने भी महिलाओं में तनाव बढ़ाया है। उनका कहना है कि बांझपन और नपुंसकता के बढ़ने में तनाव अहम कारक हैं।

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