दिल्ली में घुलने वाला था पाक से आया जहर

पाकिस्तान से नियमित रूप से राजस्थान में बड़ी तादाद में अफीम तस्करी हो रही है। पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा से चोरी-छिपे अफीम राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और श्रीगंगानगर जिलों में पहुंचती है और फिर यहां से देश के अन्य प्रदेशों में पहुंचती है। यह तीनों ही जिले पाकिस्तान से सटे होने के कारण बड़ी संख्या में अवैध घुसपैठ और तस्करी होती है।

सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले दिनों जांच में साक्ष्य जुटाकर केन्द्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी है। सीमा पर चौकसी कर रही बीएसएफ और राजस्थान पुलिस को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है। छह महीने पहले 23-24 फरवरी की रात हिंदुमलकोट में बॉर्डर पार पाकिस्तान से आई 30 करोड़ रुपए की छह किलो हेरोइन की खेप पंजाब के तस्करों ने मंगवाई थी।

पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह के एक कोरियर को गिरफ्तार कर लिया है। कोरियर कुलदीप सिंह उर्फ कीपा पुत्र दर्शनसिंह निवासी गांव मल्लियां, पुलिस थाना झबाल, जिला तरनतारन को हिंदुमलकोट पुलिस ने पंजाब से पकड़ा। प्रारंभिक पूछताछ में उसने हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय तस्करी की इस वारदात में शामिल होना स्वीकार किया है।

कोरियर का काम करने वाले गिरोह का सरगना अमनदीप सिंह निवासी गांव ठठां, थाना हरिके, जिला तरनतारन है।

श्रीगंगानगर के पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि कोरियर पकड़े जाने से गिरोह के बारे में कई सुराग मिले हैं। इससे यह जानकारी भी मिली है कि तस्करी में कौन-कौन शामिल हैं।

एसपी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपी कुलदीप से पूछताछ कर बॉर्डर पर हेरोइन तस्करी की पूर्व में घटनाओं के बारे में पता लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि घटना के बाद से ही कुलदीप फरार था। प्रारंभिक पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि वह बलविंद्र उर्फ बिंदा पुत्र तारासिंह निवासी गांव वां , थाना खालड़ा, जिला तरनतारन और बोलासिंह नामक व्यक्ति के साथ हेरोइन की डिलीवरी लेने 23-24 फरवरी रात को हिंदुमलकोट गांव के खेतों में आया था।

आरोपी कुलदीप सिंह को हिंदुमलकोट पुलिस ने न्यायालय में पेश कर 10 दिन के रिमांड पर लिया है। उससे पूर्व में जनवरी में पाक से तारबंदी के ऊपर से फेंकी गई 18 किलो हेरोइन और जुलाई 2011 में हिंदुमलकोट में बरामद हेरोइन के बारे में भी पूछताछ की जाएगी।

एसपी संतोष चालके के अनुसार हेरोइन पंजाब के विभिन्न स्थानों, दिल्ली और मुंबई सहित अन्य शहरों में जानी थी। कोरियर गिरोह की छोटी कड़ी का पता लगने के साथ-साथ इसमें कौन-कौन शामिल थे, का भी पता लग गया है।

अब पता लगाया जाएगा कि कोरियर गिरोह के कोई लोकल कनेक्शन हैं या नहीं। पुलिस को आशंका है कि लोकल कनेक्शन ही आरोपियों को बॉर्डर की लोकेशन अच्छी तरह से बता सकते हैं।

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