आप से किनारा नही किया मेधा पाटकर ने !!

megha patkarप्रख्यात समाजसेविका मेधा पाटकर ने आप में शामिल होने में कोई ना नुकुर नही की है । जिंदगी भर समाजसेवीका के रुप में विख्यात मेधा पाटकर अब राजनीति से जुडने जा रही है । राजनीति में शुद्वता और अच्छे लोगों की भागीदारी की बात प्रख्यात समाज सेविका मेधा पाटकर ने सबसे पहले सोचकर एक राजनैतिक पार्टी बनाने की पहल बारह साल पहले की थी लेकिन तब तमाम सामाजिक संगठनों ने मेधा पाटकर की इस पहल का सकरात्मक जवाब नहीं दिया और देश की राजनिित में एक नई सोच वाली राजनैतिक पार्टी का गठन नही हो सका । मेधा पाटकर को उस समय इस बात का दुख जरुर हुआ कि उनकी पहल को किसी ने खुलकर समर्थन नही दिया । अब उसी सामाजिक संगठन के जन आदोंलन स ेउपजी आम आदमी पार्टी का न्यौता पाकर मेधा पाटकर ने अपनी टीस भूलाकर अपने साथी समाजिक विज्ञान एंव राजनैतिक विशेषज्ञ योगेन्द्र यादव को सकरात्मक जवाब दिया है । यह मेधा पाटकर का बडप्पन भी माना जाना चाहिए । बात उन दिनों की है जब मेधा पाटकर के नेत्रत्व में वर्ष 2001 में 26 जनवरी से 31 मार्च तक सोमनाथ से आयोध्या तक देश में सदभावना कायम रखने के उददेश्य से भारत बचाओं भारत बनाओं नाम से रैली निकाली गई थी । इस रैली में अनेक राज्यों के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधी शामिल किए गए थे । एक बस में गुजरात के सोमनाथ से प्रारंभ होकर राजस्थान दिल्ली हरियाणा उत्तरप्रदेश उत्तराखंड होते हुए फैजाबाद में जाकर समाप्त हुई थी । हर राज्य में किसी ना किसी सामाजिक संगठन ने रैली के ठहराव और जनसभाओं का आयोजन किया था । राजस्थान से अजमेर से मैं इस रैली का हिस्सा बना था । रैली जब दिल्ली पहुंची तो गांधी शातिं प्रतिष्ठाान में इसका ठहराव हुआ था । वहीं मेधा पाटकर प्रख्यात समाजसेवी स्वामी अग्निवेश अब स्वर्गीय हो चुके आनंद मोहन सहित अनेक प्रमुख समाजवादी नेताओं ने एक राजनैतिक पार्टी के गठन पर विचार किया गया था । मेधा पाटकर ने तब सभी समाजसेवा से जुडे कार्यकर्ताओं नेताओं को राजनैतिक पार्टी गठन को लेकर उनसे राय मांगी लेकिन उन्हे तब हल्का दुख हुआ जब सभी समाजवादी नेताओं ने यह कहकर उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि जिस राजनेताओं को हम गलत बताते है गंदी जगह बताते है उसी दलदल में हम भी उतर गए तो हमारी छवि धूमिल हो जाएगी । दिल्ली से निकल कर रैली हरिद्वार पहुंची थी तब वहां समाजसवेी योगेन्द्र यादव ने रैली को शताब्दि घाट के पास श्रीराम गेस्ट हाउस में ठहराया । वहां भी सुरेन्द्र यादव रैली के साथ हुए और मेधा पाटकर के आदोंलन से जुडे रहे । आज योगेन्द्र यादव आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता है और इतने सालों बाद आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए मेधा पाटकर को न्यौता दिया है । मेधा पाटकर यदि तब अगर सभी संगठनों को साथ लेकर चलने का विचार त्यागकर स्वंय दो तीन समाजसेवी को साथ लेकर अरविंद केजरीवाल की तरह पार्टी का गठन करने की हिम्मत जुटा ली होती तो शायद अरविंद केजरीवाल से पहले मेधा पाटकर दिल्ली की राजनीति की धूरी बन गई होती और आम जनता को मेधा पाटकर के रुप में शीला दिक्षित सुषमा स्वराज या सोनिया गांधी का विकल्प मिल चुका होता । मेधा पाटकर ने अपनी पूरी जिंदगी नर्मदा बचाव आंदोलन से लेकर देशभर में

muzaffar ali
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विस्थापितों के अधिकारों की लडाई लडने में बिता दी है । भारत बचाओं भारत बनाओं आदोलन उनका देश में साम्प्रदायिक माहौल को कायम करने और देश की एकता को मजबूती से स्थापित करने के उददेश्य से किया गया था और वह आदोंलन मेधा पाटकर को एक राष्ट्रीय नेता के रुप में स्थापित कर गया था । उस समय इलेक्ट्रोनिक चैनलों की इतनी भरमार नहीं थी इसलिए मेधा पाटकर आदोंलन व उनकी छवि का राष्ट्रीयकरसण नही हो सका । रैली समाप्त होते ही सब अपने अपने घर चल दिए । मेधा पाटकर फिर देश की राजनीति में सफाई के विचार को त्याग कर अपने पसदींदा क्षेत्र में व्यस्त हो गईं । पिछले साल अन्ना हजारे के दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन और जनआदोंलन में उमडी भारी भीड के राष्ट्र्रीय स्तर पर मीडिया के महाकवरेज ने अन्ना हजारे की टीम को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया । वहां फिर मेधा पाटकर के विचार अरविंद केजरीवाल के दिमाग में आए और एक राजनैतिक पार्टी के गठन के रुप में आम आदमी पार्टी अपने अस्तित्व में आई और देश के राजनैतिक परिद्वश्य पर छा गई । देखना है कि आम आदमी पार्टी मेधा पाटकर को किस रुप में स्वीकार करती है और क्या जिम्मेदारी सौपतीं है ।
अजमेर से मुजफफर अली

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