ये तो हमारे विचारों की ताकत ही है

kamal kothotya-कमल कोठोत्या– हमारे चौदहवें दलाई लामा के शब्दों में, ‘अपने विचारांे पर ध्यान दीजिए क्योंकि वो आपके शब्द बन जाते हैं, अपने शब्दांे पर ध्यान दीजिए क्यांेकि वो आपके कार्य बन जाते हैं, अपने कार्यों पर ध्यान दीजिए क्योंकि वो आपकी आदतंे बन जाती हैं, अपनी आदतांे पर ध्यान दीजिए क्योंकि वो ही आपका व्यक्तित्व बन जाती हैं और वो व्यक्तित्व ही आपकी किस्मत।‘ उनकी इस बात का सार यह हैं कि जिस जिंदगी को हम भाग्य का लिखा होना मानकर जीेते हैं दरअसल वह जाने अनजाने हम ख़ुद अपने विचारों से ही लिख रहे होते हैं।
कई बार जब हमारे काम हमारा मनचाहा परिणाम नहीं देते हैं तो हम उस काम मंे ही खामियां ढूंढ़ने लगते हैं पर शायद ही उन विचारों पर ग़ौर करते हैं जो उस समय पर हमारे दिमाग़ में दौड़ रहे थे। जबकि, जिस तरह से हमने वो काम किया है वो उस वक्त रखे गए विचारों का ही परिणाम होता है। हम जिस समय जो काम करते हैं उसका अच्छा या बुरा होना भी उन विचारों पर ही निर्भर करता हैं। अतः जो हम पाते हैं वो अप्रत्यक्ष रूप से उन विचारांे के कारण होता हैै परंतु हम खुद को और दूसरांे को उसके लिए कोसते रहते है जो कीे उस स्थिति को बद से बदतर बना देता हैै और हम उस स्थिति में कोई सही निर्णय भी नहीं ले पाते हैं। हम बार बार वही करते हैं और फिर वैसा ही होता है। यह चलता रहता है और हम कभी भी उसकी जड़ तक नहीं पहंुच पाते। और अक्सर इसे किस्मत का लिखा होना मानकर छोड़ देते हैं परंतु, अगर हम अब तक हुई हमारी जिंदगीे की सभी बातों और उस वक्त रखी गई सोच पर गौ़र करे तो हमें इस बात की तह तक जाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा कि हमारी जिंदगी में घटी हर घटना के लिए ज़िम्मेदार कोई और नहीं बल्कि हमारे अपने विचार हैं। चाहे फिर वो बुरी हो या अच्छी। उदाहरणतया, एक व्यंिक्त भयंकर रोग से पीड़ित था, जिसका इलाज कोई डॉक्टर नहीं कर सके थे। उसने अपने इलाज के लिए अपनी सारी जायदाद तक बेच दी परंतु वह ठीक नहीं हो सका। वह निराश हो चुका था। तब एक दिन उसने अखबार में पढ़ा कि नगर में कोई बहुत बड़ा डॉक्टर आया है। और, वह ग़रीब हो चुका रोगी इस विचार के साथ उस डॉक्टर के पास पहंुचा जैसे की उस रोग का इलाज केवल वही डॉक्टर कर सकता था। उसने उस डॉक्टर पर इतना विश्वास कर लिया कि वो यह महसूस करने लगा मानों वह ठीक होने लगा है और जल्दी ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएगा। उस डॉक्टर ने जब उसे कहा कि वह तो बहुत जल्द ठीक हो जाएगा तो उसका वो विचार और पक्का हो गया और वह सचमुच ठीक हो गया।
इतनी ताक़त होती है हमारे विचारों में। हम आज जो भी हैं या जिस भी दशा में हैं, ये हमारेे अपने विचारों की बदौलत है और हम जो भी बनना चाहते है या जिस भी दशा में जीना चाहते है वो केवल हमारे विचारों की बदौलत ही मिल सकती हैं। हमारी समस्या यह नहीं है कि हम यह नहीं जानते परंतु यह कि, हम अपने दिल और दिमाग़ में, दिक्कतों के आने पर भी, लगातार अच्छे तथा सकारात्मक विचार बनाए रखते हुए तब तक सब्र रखने पर यक़ीन नहीं कर पाते हैं जब तक कि ऐसा करना प्रकृति की मजबूरी नहीं बन जाएं और विचारोेें की यह ताक़त हम तब तक महसूस नहीं कर सकते जब तक कि हम पूरे विश्वास के साथ दिमाग़ में लगातार अच्छे विचार सोचते हुए ऐसा होने तक इंतजार ना करें। हम दुनिया की इस भागमभाग या देखादेखी में या तो कभी इस बात को समझने की कोशिश ही नहीं करते या जब यह बात हम समझ भी लेते हैं तो सोचने लगते हैं कि बहुत देर हो गई। अब कुछ नहीं हो सकता। यह कह कहकर उस नकारात्मक विचार को और मज़बूत करते जाते हैं और जो होता जाता है उसे तक़दीर में होना मानकर अपना लेते हैं।
इस प्रकार, हमारी जिंदगी में आने वाले सुख दुुख हमारे विचारों का ही परिणाम हैं। एक विचार मात्र से, हम जो चाहे वो हासिल कर सकते हैं। अतः हम जो भी चाहते हैं, उसे पूरे विश्वास के साथ लगातार अपने दिल दिमाग में अच्छे विचार सोचकर थोड़ा सब्र रखते हुए बुरे से बुरे हालातों को भी बदलकर उसे प्राप्त कर सकते हैं।
(लेखक प्रेरक वक्ता हैं)
मोबाइल नंबर- 8290884448

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