नेताओं के चलते खत्म नहीं हो सकता आतंकवाद

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

देश में ऐसी घिनौनी और गैर जिम्मेदाराना राजनीति चल रही है, जिसके अंतर्गत आतंकवाद खत्म होना मुश्किल नजर आता है। बल्कि ऐसे नेताओं की वजह से आतंकवादियों को बल मिल रहा है। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं की तुलना पाकिस्तान में रह रहे भारत के मोस्ट वॉन्टेड हाफिज सईंद से कर दी है। तिवारी ने कहा कि विहिप के नेता धर्मांतरण करवा कर वैसा ही कार्य कर रहे हैं जैसा पाकिस्तान में बैठ कर हाफिज सईद भारत के खिलाफ कर रहा है। तिवारी ने यह बयान 17 दिसम्बर को दिया है और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक भी स्वयं को तिवारी के बयान से अलग नहीं किया है। इससे प्रतीत होता है कि सोनिया-राहुल गांधी तिवारी के बयान का समर्थन करते हैं। हो सकता है कि कुछ लोगों को विहिप की कार्यप्रणाली पसंद नहीं आती हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपनी उस लड़ाई को ही कमजोर कर दें, जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ी जा रही है। सब जानते हैं कि 16 दिसम्बर को पाकिस्तान के पेशावर के आर्मी स्कूल में आतंकवादियों ने जो खूनी खेल खेला, उसके लिए हाफिज सईद ने भारत को दोषी ठहराया है और चेतावनी दी है कि उसका संगठन जमाते-उल-दावा भारत से बदला लेगा। यह वही हाफिज सइद है, जिसने मुम्बई का 26/11 का हमला करवाया था। सीमा भारतीय सैनिकों के सिर काटने में भी हाफिज की भूमिका सामने आई थी। हाफिज सईद के बयान का भारत में कड़ा विरोध हो रहा था कि इसी बीच कांग्रेसी नेता तिवारी ने विरोध की धार को कम कर दिया। भाजपा ही नहीं पिछली कांग्रेस की सरकार भी भारत में होने वाली आतंककारी घटनाओं के हाफिज सईद और उसके संगठन को दोषी मानती रही है। लेकिन कांग्रेस ने अब ऐसा बयान दे दिया है, जिससे हाफिज सईद को भारत के खिलाफ और जहर उगलने का मौका मिलेगा। कांग्रेस यह अच्छी तरह समझ ले कि जो आतंकवादी पाकिस्तान में आर्मी स्कूल में डेढ़ सौ मासूम बच्चों की बेदर्दी से हत्या कर सकते हैं, वे भारत में भी आतंकी वारदातों को अंजाम दे सकते हैं। पेशावर की घटना के भारत सरकार ने भी राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी की है। यानि हमले का खतरा भारत पर भी मंडरा रहा है। जब हमारे नेता ही हाफिज सईद का समर्थन करेंगे तो फिर आतंकवाद कैसे खत्म होगा। कांग्रेस का बयान आतंकियों को खुश करने वाला है। इस तरह का बयान देकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के वोट हासिल करना चाहती है, जो खिसक कर मुलायम सिंह और मायावती के पास चले गए हैं। भारत में रहने वाले मुसलमानों को भी पता है कि जितनी स्वतंत्रता और सम्मान यहां है, उतना मुस्लिम राष्ट्र कहे जाने वाले पाकिस्तान में भी नहीं है। पाकिस्तान में रहने वाला मुसलमान खुद कितना दु:खी है, इसका ताजा उदाहरण पेशावर की दर्दनाक घटना है। दल चाहे कांग्रेस हो या भाजपा अथवा सपा, बसपा, टीएमसी आदि किसी को भी ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जो आतंकवादियों को बल देता हो। जो लोग नरेन्द्र मोदी को मुस्लिम विरोधी मानते हैं, वे बताएं कि पांच माह के पीएम के कार्यकाल में ऐसा कौन सा कार्य किया, जिसमें मुसलमानों का अहित हुआ। जहां तक विहिप और भाजपा नेताओं के कुछ बयानों का सवाल तो ऐसे बयानों को पीएम ने सार्वजनिक तौर पर निंदा की है और माना है कि ऐसे बयान पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मेरा मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ भी राजनीतिक दलों को एकजुट रहना चाहिए, अन्यथा हमारे भी हालात पाकिस्तान जैसे हो जाएंगे। जहां तक पाक का सवाल है तो उसकी कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहा है। पेशावर की घटना के बाद पीएम नवाब शरीफ ने आंतकियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही के आदेश दिया तो 18 दिसम्बर को ही एंटीटेरेरिस्ट कोर्ट से आतंकी संगठन लश्कर के कमांडर जकीउर रहमान लखवी को जमानत मिल गई है। लखवी वहीं आतंकी है, जिसने भारत में 26/11 का मुम्बई हमला करवाया था। लखवी की जमानत को हाफिज सईद की चेतावनी से जोड़ कर देखा जा रहा है। हाफिज ने पेशावर की घटना का बदला भारत से लेने की घोषणा की है।
(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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