मलियाली कविता का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

मूल: शशी माविनमूड
हिन्दी अनुवाद: डॉ॰ एम॰एस॰ विनयचन्द्रन

विनयचन्द्रन
विनयचन्द्रन

प्यारु (मलयालम कविता)
महासागर को देखकर तुमने कहा था, कि
मुझमें सागर जैसा प्यार है
तुम्हारे प्यार में थोड़ी भी कमी
न हो, इस लिए मैंने
तुम्हें नदी या तालाब
नहीं दिखाया ।
फिर भी, आखिर तुम्हारा प्यार चार दीवारों के
कुएं की गहराई में खो गया !
पता: डॉ॰ एम॰एस॰ विनयचन्द्रन, संपादक: संग्रथन, केरल -6880

सिंधी अनुवाद: देवी नागरानी

देवी नागरानी
देवी नागरानी

महासागर खे डिसी तो चयो हो, त
मूमें सागर जहिडो प्यारु आहे
तुहिंजे प्यार में थोड़ी बि घटिताई न थिये, इन लाइ
मूँ तोखे नदी या तलाऊ
न डेखारियो।
पोइ बि आखिर, तुहिंजो प्यारु चइन भितियुन जे
खूह जी गहराईअ में अलूप थी व्यो!
देवी नागरानी
पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358 (साभार: संग्रथन, जुलाई 2012)

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