मोदी जी वास्तव में सहिषणु व सुह्रदय व्यक्तित्व

arun parasharहमारे प्रिय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी वास्तव में कितने सहिषणु व सुह्रदय व्यक्तित्व हैं कि उन्होंने देव व् दरवेश में कोई भेद ना समझते हुवे – खुले दिल से ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती की दरगाह पर अपनी और से चादर भेजकर -धर्म निरपेक्ष गण तंत्र के प्रधान मंत्री होने का परिचय देते हुवे – ये जता दिया हैं कि उनके ह्रदय में भी एक इन्सान का ही ्खून बहता हैं । उनके दिल में किसी भी धर्म के प्रति कोई भेद भाव  नही हैं।ऐसी ही अपेक्षा हम उनसे सब तीर्थो के गुरु पुष्कर तीर्थ सरोवर पर प्रति वर्ष होने वाले कार्तिक महा स्नान के पावन अवसर पर स्वयं या उनके प्रतिनिधि के कर कमलो द्वारा ब्रह्म सरोवर की व् जगत पिता ब्रह्मा जी की महा आरती उतारने पधार कर – आदि अनादि सनातन हिन्दुओ के तीर्थ पुष्कर जी का भी वैसा ही आदर सम्मान कर सुह्र्द्यता का परिचय देंगे – जेसा की आज उन्होंने मुस्लिमो की सबसे बड़े दरवेश ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती के दर पर चादर चढ़ा कर दिया हैं। हम पुष्कर तीर्थ के तीर्थ पुरोहित नगर वासी आशा ही नही पूर्ण विश्वाश रखते हैं कि हमारे सहिष्णु ह्रदय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी राम और रहीम में कोई भेद नहीं रखकर आगामी कार्तिक मेले के महा पूजा स्नान के अवसर पर देव व् दरवेश का समान रूप से आदर सम्मान की परम्परा को निभाने की पहल शुरू कर अपने नेतृत्व में नया इतिहास बनायेंगे ।क्यों कि आज तक सभी प्रधान मंत्रियो ने केवल सालाना उर्स मेले में मुस्लिमो के दरवेश पर बिना नागा धूमधाम से चादर चढ़ाने की रस्मे निभाते रहे हैं। हिन्दुओ के तीर्थ पर सालाना होने वाले कार्तिक महा स्नान  के पावन पर्व का पिछले किसी भी प्रधान मंत्री ने सम्मान नही किया । इस धार्मिक भेद भाव को यदि कोई मिटा सकता हैं तो ये आशा केवल मेव नरेन्द्र मोदी जी से की जा सकती हैं! केवल वे ही धर्म के नाम पर राजनीति करने वालो को मुहं तोड़ जबाब दे सकते हैं ।क्यों की उन्होंने दिखा दिया हैं कि साबित कर दिया हैं कि उनकी नजर में सभी धर्मो के लिए एक समान सदभावना व श्रधा हैं ।हमें पूर्ण विश्वाश हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी हमारे भारत देश के प्रधान मंत्री की हेसियत से आगामी 25 नवंबर 2015 -कार्तिक पूर्णिमा के महा कार्तिक स्नान के पावन अवसर पर पुष्कर राज और ब्रह्मा जीभगवान का आदर सम्मान करने स्वयं पधार कर इस पवित्र पुष्कर तीर्थ का गोरव व मान बढ़ा -कर – भेद पूर्ण परम्परा को सुधार कर – धर्म भेद रहित सर्व शुद्ध सभी धर्मो को समान महत्व की विशुद्ध परम्परा की शुरुआत कर एक नया इतिहास रचने  वे स्वयं पधारेंगे ।  श्री पुष्कर राज ब्रह्मा जी उन्हें सदबुधि दे। जय पुष्कर राज की।
अरुण पाराशर- सामाजिक कार्यकर्ता पुष्कर -तीर्थ

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