भरत तिवारी की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

Bharat Tiwariआठवाँ परिंदा
परिंदा बन रहा हूँ
परों पर कोपलें
उग रही हैं

सुना है
तुमने
सात आकाश बनाये हैं
मुझे आठवां देखना है

और तुम जिस आकाश से देखते हो
उसमें तुम्हे
देख लेता हूँ
खिड़की का पर्दा हटा कर
संपर्क: बी-67 SFS फ्लैट्स, शेख सराइ-1, मालवीय नगर, न्यू दिल्ली -17
फोन: 91-98-11-66-4796

Devi nangraniसिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
अठों पखीअड़ो
पखीअड़ो बणजी रह्यो आहियाँ
परन ते सला उसरी रह्या आहिन
बुधो आ, तो
सत आकाश ठाह्या आहिन
मुखे अठों डिसणों आहे
ऐं
तूँ जहिं आकाश ताँ डिसंदो आहीं
माँ, उनमें तोखे डिसी वठंदो आह्या
दरीअ जो पर्दो हटाए…!
USA -408 W Surf Street, Elmhurst IL 60126।

error: Content is protected !!