आतंक पर सियासत दुर्भाग्यपूर्ण

महेश पाराशर
महेश पाराशर
याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन के डेथ वारंट के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान चल रही सियासत देश के लिए दुर्भाग्य पूर्ण है मगर कुछ राजनीतिक दल के नेताओ व मजहबी नेताओ और अन्य नामी हस्तियों द्वारा एक आतंकी के पक्ष में अपील करना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है । यह आतंकी भी कोई साधारण आतंकी नहीं हे आतंक का मास्टर माइंड और इसे मजहब से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए आतंक का कोई धर्म नहीं होता न जात होती हे पात फिर भी ये लोग सियासती व मजहबी हथियार चलाकर लोगो को गुमराह कर रहे है की याकूब को खास मजहब का होने के कारण से फसी दी जा रही है लेकिन इन नेताओ और पैरोकारों को अपने जहन में यह तो ख्याल करना चाहिये की भारतीय न्याय व्यवस्था भेदभावपूर्ण नहीं है और जिस आतंकी घटना के अंदर ये शामिल थे वो भी कोई घटना साधारण नहीं थी मुम्बई सीरियल ब्लास्ट ,जिसका का नाम जहन में आते ही एक सिहरन सी उठने लगती है मार्च 1993 इस आतंकी घटना में 257 निर्दोष लोगो की जान को लील लिया था और अंजाम देने वालो में याकूब मेमन मास्टर माइंड था तब इनके पैरोकारों को उन लोगो की जान की और परिवारो पर क्या बीती होगी क्या थोडा भी ख्याल आया था जो आज इन आतंकियों के पैरोकार बन रहे है इनके पक्ष में अपील कर रहे है। इन अपीलों का यह असर हुआ की पंजाब जेसे पिछले 22 सालो से शांत प्रदेश में भी आतंकियों ने फिर से आग लगाने की कोशिश की है । पडोसी मुल्क पाकिस्तान जो हमेशा ही इनका पैरोकार रहा है ने फिर शांत पंजाब में सेना की वर्दी में सीमापार से आतंकी हमले को अंजाम दिया है । पाकिस्तान की इस ना ‘पाक’ हरकत को अंजाम दिया लश्कर -ए-तैयबा के आतंकियों ने जिसमे 8 निर्दोष लोगो की मौत हुई । पाकिस्तान अपनी इन हरकतों से कब बाज आएगा ? पाकिस्तान का पक्का इलाज कब होगा ? यह प्रश्न अब आम भारतीय के जेहन में उठने लगा है ।
एक आतंकवादी जिसे अपना पक्ष रखने का पूरा समय दिया गया अन्य सभी अपराधियो की तरह तो फिर आतंक के इस मास्टर माइंड की सजा पर इतना बवाल क्यों ? यह तर्कसंगत नहीं लगता हे ।
एक आतंकवाद के मास्टर माइंड की फाँसी की सजा पर सियासत करना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है और इनके पैरोकारों को भी देश के हालातो को बिगड़ने का माहोल न बने उस पर आत्ममंथन करने कीआवश्यकता है अन्यथा ऐसे लोगो पर भी जो देशद्रोहियो को बढ़ावा देते है पर भी देशद्रोह का मुक़दमा चलाया जाना चाहिए ।।
यह मेरे विचार है जो आप तक पहुचाने का प्रयास कर रहा हूँ ।

महेश पाराशर
पुष्कर

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