कुछ और चिकित्सकों की राय आ गयी है, आईये पहले एक नज़र इन पर हो जाये:-
११.डॉ.विजय कालरा ने आगे फिर अपना कॉमेंट लिख कर व्हाट्सऐप भेजा है जिसमें लिखा है की “भले ही इलाज़ के परिणाम में देरी आने की वजह से मरीज लौट जाये , कहीं ओर चला जाये, पर वे बिना ज़रुरत के स्टेरॉयड कभी नहीं देते है, उनकी आत्मा ऐसा अनुचित इलाज़ करने की गवाही नहीं देती”
१२.संत फ्रांसिस अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर रवि राजपूत ने बताया की स्टेरॉयड डिपेंडेंट मरीज जब उनके पास आते हैं. तो बहुत कठिन होता है उनका इलाज़ करना. उन्हें यदि नॉन स्टेरॉयड दवा दे तो इलाज़ से फर्क नहीं पड़ता, दे दो तो और मुश्किल. याने दोनों तरफ तकलीफ. यदि मरीज के आराम नहीं होता है तो उलटा उलाहना देता है की इन डॉक्टरों से तो हमारे नीम हाकिम ही अच्छे हैं जो पैसे भी कम लेते और इलाज़ भी बढ़िया करते हैं। उन्होंने राय दी की इस तरह की शिड्यूल-एच दवाएं विशेषज्ञों द्वारा ही दी जाएँ तो मरीज के हिट में उचित होगा।
आगे अभी और है।
डॉ.अशोक मित्तल, Medical Journalist
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