भगवान राम के खिलाफ मसले मे, वकील साहब के चेहरे पर हवाईयाँ उडी़

शमेन्द्र जडवाल
शमेन्द्र जडवाल
दुनिया में कई लोग अचानक कुछ ऐसा कर बैठते है,कि लोग उनके बारे में जानने को बाध्य हो ही जाते हैं। यानिकि करतब करने वाले ‘लाईम लाईट’ मे आ जाते हैं।
ऐसा ही एक मामला ताजा ताजा सामने आया है, सीतामढी के एक अधिवक्ता महाशय ने न्यालय मे “भगवान राम” के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया है। मेजर गंज थाना ईलाके के डूमरीकला ग्राम निवासी वकील चन्दन कुमार सिंह ने भगवान श्रीराम और उनके भ्राताश्री लक्षमण पर त्रेतायुग मे घटित सीताजी को बनवास भेज दिये जाने को अप्रासगिक बताते उन्हें पीडा़ देने पर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी न्यायालय में शनिवार गुहार लगाई गई जिसमे आज आगे सुनवाई तय हुई थी ।
वकील साहब का आरोप है कि, सीताजी मिथिला की बेटी थीं,और अयोध्या नरेश श्रीराम ने उन्हे
बेवजह घनघोर.जंगल मै भैज दिया।उस पतिवृता को अकेले कैसे कष्ट मय जीवन जीने को मजबूर होना पडा़ ? इसीसे उन्होने पीडा़ महसूस करते कार्रवाही की यह मांग रखी है और सीताजी को न्याय दिलाना चाहते है।यह तो हुई कानूनी नजरिये की बाते जिस पर इस समय पार मुकदमे को खडा़ होना है।
यहाँ सबसे ज्यादा.चौंकाने वाला सवाल यह कि,.इस प्रकार त्रेतायुग की कथा को लेकर अब कलियुग मे न्याय मागने का यह कैसा प्रयोजन है ? भगवान मानते मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को जहाँ लोग पूजते आ रहे है नित आराधना करते है, उनके विरूद्ध
इस तरह आरोप लगाकर भला हासिल.क्या होने वाला है ? हाँ कुछ समय पहलै एक फिल्म “ओह माई गौड” आई थी, जसमे काँजी भाई नामक व्यक्ति पर मुकदमा चलाया गया था। उसमे भगवान प्रगट हुए थे।
लगता है वकील साहब भगवान को बुलाने पर आमादा लग रहे है ! और कुछ लोग मानते है कि, जिन भगवान श्रीराम ने रावण जैसै राक्षस का वध किया था .उन्हे घरेलू मसले में अब इस इंसानी अदालत मे भला क्या और कैसी,अ कोई सजा सुनाई जा सकती है ? फिर क्या वकील महाशय सीताजी के अपहरण पर भी – दानवराज रावण के विरुद्ध कोई मामला खडा़ करेंगे ? वेसे श्रीराम ने उसे सजा दे दी थी।
.यूँ अगर इतिहास उठाया जाए तो ऐसे हजारों मसले मिल जाएगे। हमारा मानना है कि, एक तो देशभर के न्यायालयो मे हजारो मुकदमे वैसै ही लम्बित चल रहे है। एक ओर उच्चतम न्यायालय द्वारा पुराने मामले यथाशीघ्र निपटाने के लिए निचली अदलतों को निंर्देशित करना पड़ रहा है। दूसरी ओर कुछ जन बीते युग की ऐतिहासिक कथाओं को लेकर
इस युग मे जी रहे है। और आज के भागदौड़ के जीवन मे मुकदमो की परेशानी झेल रहे लोगों के लिए एसे मसले खडे़कर न्याय में विलम्ब का कारण नही बना रहे ? एक अजीब दासतान यह भी कि., समाज सुधार के अनेको मामल हैं जिन्हे समय पर सरकारी तोर पर निपटाया नही जाता है लोग उन्हें जनहित – याचिकाओं के जरिये अदालत की शरण मे जाते है वहाँ राहत मिलती भी है। वहीं ज्यादातर कई ऐसे भी
लोग है, जिनका शौक केवल अपने आपको खबरों की सुरखियों मे लाकर न्यायालय का समय जाया करना ही होता है, चूंकि ऐसे लोगों कै पास स्वय का कोई काम नही होता !
आज दुनिया जिस रफ्तार से आगे जा रही है, उसमे एक तो लोगो के पास समय नही बच रहा,दछसरी ओर बीच बीच मे ऐसे जज्बाती फिजूल के मसले खडे़ करके “समय” पर और प्रहार ही कर रहे होते हैं ।फिर सबको मिलेगा कैसे सुलभ न्याय ?
वेसे आज न्यायालय में वकील महाशय के चेहरे पर उस समय हवाईयाँ उड़ती सी दिखी जब विद्वान न्यायाधीश राम बिहारी ने इनसे इस मामले मे प्रस्तुत किए जाने वाले गवाहो की लिस्ट चाही । यह भी कहा माता सीता को किस तारीख को जंगल भेजा गया ? और उन्हें क्या क्या कष्ट झेलने पडे़ । गौरतलब है ऐसे अनेक लोग अब इस दुनिया मे ही नही रहै हैं। और.वकील साहब को इसके लिए अब.त्रेता युग में जाना होगा ?

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