कैसे हो पाएगा स्वच्छ भारत का सपना पूरा?

arvind apoorva
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स्वच्छ भारत मिशन अभियान। अपन भूले तो नहीं? कैसे भूलेंगे… अफसरों से लेकर मंत्रियों तक ने हाथों में झाड़ू हाथ में लेकर खूब फोटो सेशन करवाए थे। है कि नई..। भई वो तो थे शुरुआती दिन…। कलेक्टर्स तक इस अभियान को सफल बनाने और नंबर वन बनने की होड़ में जुट गए थे। इसके लिए इनाम तक ले आए, लेकिन अभी तक कई जगह शौचालय नहीं बन पाए हैं। बने हैं तो बताओ? ढूंढने जाओ गांवों में ही नहीं, शहरों में भी सैकड़ों परिवार ऐसे मिल जाएंगे। यह तो हुई घरों में शौचालय की बात। अब अपन असल मुद्दे पर आते हैं। बात यह है कि अभी रामदेवरा मेला चल रहा है और हजारों जातरुओं का रैला शहर से गुजर रहा है। शहर में चल रहे भंडारों पर इन जातरुओं की खूब सेवा हो रही है। यह अच्छी बात है, लेकिन एकाध को छोड़कर किसी भी भंडारे पर शौचालयों की व्यवस्था नहीं है। सभी भंडारों से आंकड़े जुटाए जाएं तो करीब 2 से 5 हजार जातरू यहां रात में ठहर रहे हैं। ये खुले में शौच के लिए मजबूर हैं, और इससे शहर का वातावरण दूषित हो रहा है। तो क्या इनके लिए शौचालयों की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए? शहर में नगर निगम के पास मोबाइल शौचालय हैं, कुछ भंडारों पर इसकी व्यवस्था की जा सकती है, यह जरूरी भी है। है कि नई। इस ब्लॉग के माध्यम से मैं यही निवेदन करना चाहता हूं कि किसी तरह प्रशासन तक यह बात पहुंचे और जातरुओं की लिए व्यवस्था की जाए… नहीं तो शहर का वातावरण ऐसे ही दूषित होता रहेगा।
– अरविंद अपूर्वा (hathaikichoupal.blogspot.com

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