चुनाव सुधार की अच्छी पहल

ओम माथुर
ओम माथुर
केन्द्र सरकार के इस फैसले के दूरगामी परिणाम होँगे कि भविष्य मे चुनावों की मतगणना के दौरान ये पता नहीं चल सकेगा कि उम्मीदवार को किसी क्षेत्र या बूथ से कितने वोट मिले हैं। इससे न सिर्फ राजनीतिक दुश्मनी बँद होगी, बल्कि जीते हूए उम्मीदवारोँ द्वारा किसी इलाके से कम वोट मिलने पर वहां विकास कार्य नहीं कराने और ल़ोगोँ की उपेक्षा करने पर भी रोक लगेगी। अभी किस क्षेत्र के किस मतदान केंद्र से किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले हैँ,इसका आसानी से पता चल जाता हैं क्योंकि परिणाम बूथ वाइज जारी होते हैं। इससे ये भी पता चलता किस इलाके मे किस पार्टी का दबदबा है। ऐसे मे जिस बूथ से जीते प्रत्याशी को कम वोट मिलते थे वह उस इलाके से रँजिश रखने लगता हैं और उसे विकास के लिए तरसा देते हैं। कुछ नेता तो जीत के बाद 5 साल तक उस तरफ रूख भी नहीं करते। अगर लोग किसी काम से पहुँच जाए तो ये ताना भी देते हैं कि जिसे वोट दिया है,विकास भी उसी से करवा लेना।साथ ही वहां के पार्टी कार्यकर्ता भी इसका नतीजा भुगतते हैं। क्षेत्र विशेष मे रहने वाले वोटों का रूझान बूथ स्तर से पता लग जाने से कई विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों मे तो उन क्षेत्रों मे रहने वाला जाति समुदाय वहां से टिकट का स्थाई हकदार हो जाता हैं। वोटिँग मशीनों मे टोटेलाइजर लगने के बाद इस समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है क्योंकि ये पता नहीं चलेगा कि किस जातिगत समुदाय का रूझान किस तरफ रहा है मोदी सरकार की यह पहल सराहनीय कदम है चुनाव सुधार की दिशा मे।

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