झाडू की व्यथा-कथा

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
़जी हॉ मैं झाडू हॅू , वही झाडू जो आपके मोहल्ले की गंदगी साफ कर आपको वर्षो से स्वच्छ एवं स्वस्थ्य रखते आई हूॅ । आप जानते हो इसके बाद भी मैं सदा अच्छूत ही रही । मुझे गलती से भी छूने वाला,पहले नहाया फिर एंटीसेप्टिक क्रिम लगाया उसके बाद ही घर में प्रविष्ट हुआ। पर आज मैं बहुत खुष हॅू ,मेरा खोया सम्मान मुझे गांधी जयंति से फिर मिल गया। एक बार गांधीजी ने मुझे सम्मान दिला गए थे । जो भारत की आजाद जनता ने भूला दिया । गॉधीजी को याद रखा, फोटूओं में रखा और मुझे भूला दिया। आप तो जानते ही, हो आजादी के बाद से कई दसकों से मेरा उपयोग सिर्फ अनपढ़ चतुर्थ श्रेणी सफाई कर्मचारी ही करते रहा है । उसी ने मुझे ससम्मन उठाया है और मेरे आषीर्वाद से अपना पेट व परिवार पाला है। अपने बेटे -बेटी का विवाह कर घर बसाया है। फिर भी मुझे कभी बड़ों के घरों में प्रवेष नहीं मिला। मैंने सदैव बाहर ही अपनी जिंदगी काटी है । भयंकर बारिष हो या तपती धूप हो या कड़ाके की ठंड हो मुझे उघाड़े बदन तनहाई में अपनी रातेे घर के बाहर एक गंदे कोने में ही काटनी पड़ी है । पहली बार मुझे भारत के राष्ट्रपिता गांधीजी ने सम्मान दिलाया तो दूसरी बार उनके जन्मदिन 2014 पर पुनः सम्मान मिला । मुझे गॉधीजी का जन्मदिन दो अक्टूबर अच्छे से याद रहता है । इस दिन नेता मुझे ससम्मान स्पर्ष करते रहे हैं। क्रिकेट के बल्ले की तरह मुझे दो हाथों से पकड़ कर स्वयं झूक कर मुुंह केमरे के सामने कर फोटू सेषन कराते रहे हैं। पेपरो में छपे फोटू अपने पास प्रमाण पत्र की तरह सम्हाल कर रखते हैं ताकि टिकिट प्राप्त किए जा सके । आज कल इलेक्ट्रानिक मिडिया आने के बाद से सिड़ियॉ बनाने की प्रथा चल निकाली है । केमरा आन होने के पहले मेकप, कैमरा आन होते ही एक्सन चालू हो जाता है और केमरा आफ होते ही पैकप हो जाता था , अगले दो अक्टूबर आने तक। एक दल जिसने मुझे अपने कार्यालय, झंडे में स्थान दिया । मुझे लहरा कर षहर-षहर घुमाया। मैं कितनी महरबान हॅू,जो मैने आषीर्वाद में उस दल को भारत के दिल ,दिल्ली की सत्ता दिला दी। उन्होने मेरा उपयोग जमीन से गंदगी व प्रषासन से भ्रष्टाचार साफ करने के लिए करने का कहा था । मैं तो महरबान हॅू पर मेरे कद्रदान नहीं है । मेरा उपयोग सिर्फ जमीनी सफाई के लिए ही नहीं किया जाना चाहिए वरन जमीर की सफाई के लिए भी किया जाना चाहिए । मेरा सदूपयोग मुझे ससम्मान हाथ से पकड़ने के बाद ही होता है। मेरा आज भी अनेक समाजो में बहुत सम्मान होता है । मेरी पूजा भी की जाती है । एक राज की बात बताती हॅू ,जिसने मुझसे नफरत छोड़कर मेरा उपयोग प्यार से किया,उसकी किस्मत बदल गई। धनधान्य मान सम्मान से परिपूर्ण हुुआ । मेरा उपयोग सिर्फ फर्स की सफाई के लिए नहीं वरन अंतर्मन की सफाई के लिए भी करने से मनुष्य इस जन्म मेें सुख सम्मान भोग कर यषस्वी होता है । आपको गॉधीजी के जीवन के प्रेरक प्रसंगों में मेेरी उपयोगिता सदा दिखाई दी होगी। मै प्रेम चंद की कहानियों की तरह सदा प्रासंगिक व जन उपयोगी हॅू । मैं आषांन्वित हॅू मैं चाहे सदैव उपेक्षित रहॅू पर स्वच्छ भारत का सपना मुझे अपनाने पर ही पूरा हो सकता है । चाहे उसका श्रेय किसी को भी जाए माध्यम तो मैं ही रहॅूगी । मैं भारत को स्वच्छ रखने के लिए प्रतिबद्ध भी हॅू । मेरा भरपूर उपयोग करो और गांधीजी के सपनो को साकार करो। आज के प्रधान मंत्रीजी की भी यही प्रतिज्ञा है- सब की जुबान पर ‘‘ एक प्यारा नारा हो , स्वच्छ भारत हमारा हो ‘‘

हेमंत उपाध्याय
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