निर्माण मजबूत हुए, तो जेबें हल्की हो जाएगी

ओम माथुर
ओम माथुर
आज टीवी पर एक खबर देखी,अमेरिका के अर्कान्स राज्य मे एक पुराने एक ब्रिज को तीन बार विस्फोटक लगाकर तोड़ने की कोशिश की जा चुकी है, लेकिन ब्रिज नहीं टूट रहा। और हमारे देश मे कई ब्रिज बनने के 90 दिन बाद टूट जाते हैं,तो कई पुल बनने के दौरान ही ढह जाते है। शायद यही फर्क है विकसित और विकासशील देश का। हमारे यहां ठेकेदार भवन,पुल,सड़क, नाली बनाने मे देश और लोगों से पहले खुद की कमाई,नेताओं और अफसरों के कमीशन चिंता करते हैं। अगर मजबूत निर्माण करा दिया, तो कमाई कैसे होगी? सड़कें कितनी बार बनती हैं, लेकिन कभी भी ठीक नहीं रहती। क्यों? क्योंकि घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। बरसात आते ही ये बह जाती है और नेताओं, इंजीनियरों,अफसरों के गठजोड़ के लिए फिर करोड़ों की कमाई का इंतजाम हो जाता है। सरकारी भवन बनने के साल दो साल बाद ही टपकने -टूटने लगते हैं। लेकिन चिंता कौन करें, जिन्हें करनी चाहिए,वो तो खुद नहीं चाहते निर्माण मजबूत हो। हो गए तो उनकी जेबें हल्की नहीं हो जाएगी।

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