इसे अपने खिलाफ जंग ना समझें

राजेन्द्र सिंह हीरा
राजेन्द्र सिंह हीरा
रहमानी साहब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को इस तरह का गैर ज़िम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिये था। देश की सरहदें और देश पूर्णतया सुरक्षित है , इसीका और विचारों की पूर्ण आज़ादी का नतीज़ा है कि आप प्रधानमंत्री पर आरोप मढ़ रहे हो।
आप समान नागरिक संहिता के 16 सवालों का जवाब नहीं दे रहे हो , यही दर्शाता है कि आपके पास कोई ठोस जवाब बचाव में नहीं है। जो काम मुस्लिम पर्सनल बोर्ड को मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी के लिए करने चाहियें थे वे अगर मोदीजी कर रहे हैं तो आप इसे उनकी मुसलमानों के खिलाफ जंग छेड़ना बता रहे हैं। रहमानी साहब आप कह रहे हैं कि कानून बदलना समस्या का समाधान नहीं। ऐसा आप इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आपको अपने वर्चस्व के ख़त्म होने का डर सता रहा है। आज तक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम महिलाओं पर अंकुश लगाये रखा है।
कानून बदलना समस्या समाधान की तरफ बढ़ने का पहला कदम है। एक बात और समान नागरिक संहिता और तीन तलाक भले ही दो अलग मुद्दे हों पर दोनों का ही ताल्लुक मुस्लिम महिलाओं से है और बोर्ड को इस पर सकारात्मक रुख इख़्तियार करना चाहिये।
यहाँ मैं रहमानी साहब और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को एक बात समझा दूं कि लॉ कमीशन भारतीय संविधान का हिस्सा है और संविधान का सम्मान करना हर भारतीय नागरिक का फ़र्ज़ है।
92% महिलाएं तीन तलाक के विरोध में हैं और वे सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गयी हैं। बोर्ड अगर मुस्लिम महिलाओं को उनकी तकलीफों से निजात नहीं दिलाएगा तो वे खुद इसका समाधान ढूंढ लेंगी।
मुस्लिम महिलाओं के साथ देश का सर्वोच्च न्यायालय है।
एक बात मैं बोर्ड से पूछना चाहूँगा कि जब निकाह के समय तीन बार क़ुबूल है , क़ुबूल है पूछा जाता है तो तलाक के समय यह क्यों नहीं पूछा जाता ?
रहमानी साहब प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी का मकसद पूरी देश की जनता की भलाई का है , इसे अपने खिलाफ जंग ना समझें। समझदारी से काम लें अपनी कौम के साथ देशहित में अपनी भागीदारी करें।
जयहिन्द।
राजेंद्र सिंह हीरा

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