निश्चय

महेन्द्र सिंह फोघट
महेन्द्र सिंह फोघट
कर्मयोग पर पलना होगा, बीज की भांति गलना होगा
मुश्किल को आसान बना दे, निर्धन को धनवान बना दे
डाकू को इंसान बना दे, पत्थर को भगवान बना दे
ये सब कर्मयोग का फल है, इसमें हर संकट का हल है
संकट लोच सम्हलना होगा, बीज की भांति गलना होगा

नदी निकलती है जब घर से, सागर से मिलने की चाह में
कितनी कठिनाइयां मिलती हैं ठोकर कितनी मिलती राह में
एक लगन है, एक मिशन है, उसको उर के बीच समेटे
वहीँ चली है, जिधर सरल है, फिर से अपनी राह से फेटे
अंत लक्ष्य है, ध्यान लक्ष्य है, मान लक्ष्य है, भान लक्ष्य है
सागर से आलिंगन करके, बीच भंवर में चलना होगा
कर्मयोग पर पलना होगा बीज की भांति गलना

जो कुछ तुम ने ठान लिया है निश्चित ही कर जाओगे तुम
मन में मत सोचो संकट है अधर बीच मर जाओगे तुम
इतिहास गवाह है, कुछ लोगों ने मृत्यु को भी मार दिया है
एक लगन पर ध्यान लगा कर, हर बाधा को पार किया है
तुम भी अलग नहीं हो उनसे, उनकी राह पर चलना होगा
कर्मयोग पर पलना होगा बीज की भांति गलना होगा

बादल ने जो ठान लिया है बरसूँगा आकर धरती पर
सागर से पानी लेकर के निकला है सहसा साहस कर
हर्षित कर लोगों को शीतल पवन साथ में ले जाता है
जब दिल चाहे जहां दिल चाहे, नीर छमाछम बरसाता है
बदल बन कर मिलना होगा, बीज की भांति गलना होगा

हर योगी ये योग करेगा सहयोगी सहयोग करेगा
जब तू सच्चे दिल से निकला, है सज्जन संयोग करेगा
ईश्वर देख तेरे उध्यम को अटल सफलता योग करेगा
दृढ निश्चय से चलना होगा, बीज की भांति गलना होगा

महेन्द्र सिंह फोघट
पूर्व महाप्रबंधक
बडौदा राजस्थान ग्रामीण बैंक, अजमेर

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