तू भी चोर मैं भी चोर, चोर चोर सगे भाई

डॉ. अशोक मित्तल
डॉ. अशोक मित्तल
मोदी जी,
तू भी चोर मैं भी चोर, चोर चोर सगे भाई…. आज ये नया कांसेप्ट उस पुरानी “हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई – आपस में सब भाई भाई.” धारणा के बदले चल पडा है. बड़े छोटे, गरीब अमीर सब भाई भाई बन गए हैं. ये सब आपके नोट बंदी की मेहरबानी से ही हुआ है. देश लाइन में नोट बदलने नहीं आप राजनीतिज्ञों के द्वारा घोषित देश बदलने के आव्हान की सहमती में कतार लगाए खडा है. इसे कोई भी पार्टी यदि जनता की मजबूरी समझने की भूल कर लेगी तो अब मोबाइल के युग में ये संभव नहीं होगा.
राहुल गाँधी ने लाइन में लग कर बेंक से पैसे निकाले. जनता ने समझ लिया की वे उनका दुःख दर्द समझ रहे है. कई मीडिया हाउस पूरे पूरे दिन इसे दिखाते रहे.. केजरीवाल भी लग गए लाइन में, तो लोग समझे एक और हमदर्द मिल गया, उनके आंसू पोंछने वाला. फिर जनता को ये देख कर सकूंन मिला की मांजी ने भी लाइन में लग कर बेंक से पैसे निकाले.
आप तो जापान आते जाते रहते हैं. आबे से गहरी दोस्ती भी है. वहाँ बड़ी से बड़ी सुनामी, आणविक आपदा में भी लोग कतार बद्ध हो कर सभ्यता का परिचय देते हैं. लेकिन कोई आपके पार्टी के मंत्रियों के परिजन या आपके आला अफसरों की माताजी, पत्नी, बच्चे आदि कोई इस लाइन में नज़र नहीं आये. आम आदमी जो कतार में खडा है जिनका खूब मजाक भी पड़े लिखे लोग सोशल मीडिया में उड़ा रहे हैं, उनमें भी अधिकतर वो लोग नज़र आ रहे थे जिन्हें इस बहाने मजदूरी के बदले नोट बदलने का काम मिल गया. चीन के बारे में भी हम सब दिवाली पर बहुत भावुक हुए. चीनी सामान का बहिष्कार भी किया. लेकिन क्या जापान और चीन से हम कुछ प्रेरणा ले रहे हैं??
सफाई अभियान जो आपने चालु किया, चाहे वो शहर की सफाई हो या भ्रष्टाचार की. तो उसके बारे में शंका ये है की इस कार्य के लिए जिम्मेदार जब पूरा सिस्टम स्वयं ही गन्दगी में लिप्त है, गन्दगी में रहता है, गन्दगी फैलाता है, गन्दगी करने को ओरों को मजबूर करता है और उसी गन्दगी से कमाए धन को जुटाने में लगा हुआ है. ऐसी परिस्थिति में आप कहाँ कहाँ और कैसे अंजाम दे पाएंगे अपने इरादों को?
आज जब देश की बेंकों में अभूतपूर्व पैसा जमा हो रहा है जिसे भविष्य में विकास के कामों में लिया जा सकता है तो ऐसे में आप महिलाओं को ढाई लाख, गरीबों को पचास हज़ार तक में जमा की छूट वापस लेने का ऐलान कर रहे हैं. इससे अच्छा इस जमा राशि को दो चार साल तक सावधि जमा योजना में दाल दें या इन गरीबों को जमा के बदले में कुछ इनाम दें की जिनके खातों की वजह से काला धन इनके खातों में जमा तो हो रहा है. तो देश का भी भला हो और ये अनपद गवार कहे जाने वाले खुश हो कर व निडर हो कर देश की प्रगति में सहायक बन सकते हैं, वरना हर तबके का आदमी यदि डर जाएगा तो भोले भाले इन जन साधारण को भड़का कर कुछ अन्य लोग इसका फायदा उठा लेंगे. इन निम्न आय वर्ग वालों व गरीबों को डराने से अच्छा आप सबसे पहले ऊपर से अपना इस सफाई को चालू करें. बड़े उद्योगपतियों, आला अफसरों, राजनीतिज्ञों, साहूकारों, मीडिया हाउसेस आदि में से दोउ- चार भी पकड़ लिये तो इन गरीबों के खातों की तरफ देखने की जरूरत ही कहाँ रह जायेगी.

डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट

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