झूठी आय बताकर टैक्स भरना भी आम आदमी की मजबूरी मजबूरी ।

g s labanaएक व्यक्ति जो छोटा -मोटा काम काज /व्यापार करता है, जो आयकर दायरे से दूर है जिन्हें हिसाब किताब रखना नही आता या मजदूरी के कारण दुकानदारी में समय नही मिलता या यूं समझे कामर्स में कमजोर है । वह आयकर रिटर्न चार्टर्ड अकाउंटेंट ( सी. ए. ) से हर साल दाखिल कराता है । छोटा मोटा हिसाब रखने के लिए पार्ट टाइम अकाउंटेंट भी रखा है ।उसे हर महिने मात्र 500/-रुपए देता है ।मतलब अकाउंट को एक साल में 6000/-रुपए व सी. ए. को कम से कम एक साल में 500 / – फीस के , अर्थात् एक साल में 6500 /-रुपए खर्च कर देता है । और टैक्स रिटर्न भरता है निल /मतलब टैक्स एक रुपया भी नहीं भरता और अकाउंट मेनटेन पर 6500/-रुपए खर्च कर देता है । व्यापारी के लिए हिसाब किताब मजबूरी है । कभी भी जांच हुई तो बेचारा किया करेगा? दूसरी बात छोटा व्यापारी जो आयकर दायरे में नहीं आता , उसे व्यापार बढाने के यदि बैंक से लोन लेना है तो बैंक वाले लोन नहीं देते । कहते है आप टैक्स तो भरते नहीं , आपकी आय तो है नहीं , लोन कैसे चुकाओगे? ऐसी स्थिति में व्यापारी न चाहकर भी आयकर भरता है कियों कि उसे बैंक से लोन लेना है और कारोबार को बढाना है । मतलब झूटी आय बताकर टैक्स भरता है,। वहीं जिस व्यक्ति की वास्तविक आय है वह प टैक्स बचाने के रास्ते पर चल कर इनसोरेशन आदि जैसी अनैक सुविधा का लाभ उठाकर टैक्स कम चुकता है । अधिकतर छोटे और मझोले व्यापारिक लोगो को ही बेवजह परेशानी होती है । पैन कार्ड लेने की मजबूरी है । पहचान पत्र की तरह काम आता है ।टैक्स भले ही न बनता हो मुफत में सी. ए. वाले को हर साल फीस देते रहो । अकाउंट की भले ही आपको आवशयकता न हो पर सरकार के लिये ही सही हिसाब किताब रखते रहो । मै समझता हूं जितना टैक्स सरकार को नही मिलता उससे कई गुना ज्यादा तो अकाउंट रखने और सीए के खाते में चले जाते होगें । एक अकेले व्यक्ति को कामाखालेने पर ढाई लाख रुपए की आयकर सीमा में छूट है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति छोटा मोटा व्यापार करके अपने साथ 4-5 लोगो को काम पर रख कर काम करता है तो उसे भी आयकर सीमा में ढाई लाख रुपए की छूट है , फिर उसे दूसरो की सिरदर्द पालने की किया आवशयकता है ? अपना कमाए अपना खाए । बहुत ने नियम अजीबो गरीब है, एक राशन कार्ड पर हर महिने दो गैस सिलेंडर ही मिलेगे, राशन कार्ड मे एक मेंबर हो या 10, मतलब आपका परिवार छोटा हो या बडा गैस सिलेंडर दो ही मिलेगे । ज्यादा सिलैंडर। लेने के लिए परिवार के लोगो मैं टुकडे करने पडे – एक ही घर पर परिवार चार बन गए ।मजबूरी है महिने में दो सिलैंडर से गुजारा नही होता । दूसरी मजबूरी राशन कार्ड भी तो पहचान पत्र की तरह काम आता है ।
एसे अनैक व्यंग रुप प्रसंग है ।समय -समय पर साझा करने की कोशिश करते रहेगे ।
जी. एस. लबाना

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