चाँद मेरा

रश्मि जैन
रश्मि जैन
*चांदनी रात थी वो…
*देख रहा था मैं चाँद को टकटकी
लगाए…
*लो छुप गया चाँद भी बदलियों में… *दिल में लिए सिलसिला..तुम्हारी यादों का…
*सोचता रहा तुम्हें..नींद के आगोश में चले जाने तक…
*महसूस करता रहा तुम्हे.. प्यार से सहलाता रहा…
*खुशबू तुम्हारे बदन की.. करने लगी मदहोश मुझे…
*जुल्फे घनेरी में छुपने लगा था चाँद मेरा…
*समीर के हर झोंके के साथ.. मिलती रही आहट मुझे…
*तुम्हारे आने की पर तुम न आई…
*करते करते इंतज़ार तुम्हारा..दस्तक दे दी.. भोर की लालिमा ने…
*ये दिल भी कितना पागल है..तुम्हारे प्यार में…
*जो करता है तुम्हारा दिन रात इंतज़ार…
*आ जाओ एक बार..आ भी जाओ न..
न कराओ और इंतज़ार…

रश्मि डी जैन
नई दिल्ली

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