मोदी शासन के चार साल

नमस्कार मित्रों,
काफी दिनों से कोई मोदी जी का विरोध इस हद तक कर रहा है जैसे मानो तो वो मोदी जी को देखना भी नहीं चाहता निश्चित ही वह मोदी विरोधी हो सकता है लेकिन कई भाजपाई भी है, कोई मोधी जी को देवतुल्य समझकर इस प्रकार उपासना में लगे हैं कि उनसे बढकर तो भगवान भी नहीं है, दोनों ही परिस्थितियां भ्रामक हैं जो कि राजनीतिक दलों की आई टी सैल के द्वारा निर्मित हैं। वास्तव में मोदी एक ईन्सान ही है। उनमें भी मानवीय गुण और अवगुण दोनों ही पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
अब मैं मेरे अनुसार मोदी जी के चार सालों की विवेचना कर रहा हूं। इससे किसी को कोई भी परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि सत्य कडवा भी होता है।
जैसा कि मैंने पहले बताया मोदी को सत्ता कैसे मिली ये मैंने पूर्व में लिखा था अब वहां से आगे…
26 मई 2014 को मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। और उसके बाद जिन मुद्दों पर वे चुनाव जीतकर आये वो सभी लगभग गौण होते दिखाई दे रहे थे तभी उन्होने स्वदेशी अपनाओ जो कि पहले से एजेन्डे में भी था मेक इन इण्डिया पर कार्य शुरू किया और देखते ही देखते पतंजली देश में हर ओर दिखाई देने लगा, ये प्रोजेक्ट देशहित था परन्तु सिर्फ एक ही कम्पनी को इस देश हित का लाभ दिया गया वो थी पतंजली… बाकि किसी कम्पनी को मेक इन इण्डिया का लाभ क्यों नहीं मिला ये सवाल आप उनसे पूछ सकते है और पतंजली को लाभ क्यों मिला ये बताने की शायद आवश्यकता नहीं है लेकिन शायद कुछ लोगों को नहीं पता हो कि स्वामी रामदेव का योगदान सत्ता परिवर्तन के क्षेत्र में कार्य करने में अग्रणी था तो उन्हे उसका लाभ दिया जाना भी आवश्यक था आज पतंजली देश के सबसे बडे उधोगों में अपना नाम दर्ज करवा चुका है।
1 मार्च 2015 काफी राजनितिक उथल पुथल के बाद कश्मीर में एक द्विपक्षीय समझौते के तहत सरकार का निर्माण हुआ जिसमे पीडीपी के साथ बीजेपी का समझौता हुआ जिसमे पीडीपी ने केंद्र में NDA को समर्थन दिया और बदले में बीजेपी ने पीडीपी को समर्थन देकर सरकार बनवाई… राजनितिक रूप से ये भाजपा का अच्छा फैसला माना गया इस से कयास लगाये गए की देश हित में अलगाववादियों से समर्थित पीडीपी को इसलिए समर्थन दिया गया है ताकि जल्दी ही अनुच्छेद 370 पर वार्ता शुरू की जा सके और आतंकवाद को रोका जा सके… पर वो कहते है न दूध की रखवाली पर बिल्ली को रखेंगे तो दूध तो बिल्ली पीयेगी ही… और वही हुआ भी… इसके बाद से आतंकवादी घटनाये तेज हो गयी….

त्रिवेन्द्र पाठक
इसके बाद कालेधन की बात जो चुनावी एजेन्डे में थी पर कार्य किया जाना था। वो धन विदेशी स्विस बैंक में बताया गया था जिसकी लिस्ट मोदीजी ने चुनाव पूर्व अपने भाषणों में कही और मिडिया ने जब उनसे सवाल पूछे तब उन्होने कहा कि वो सत्ता में आने के बाद उसे सार्वजनिक कर देंगे। फिर वो बात गौण हो गई और कालेधन पर अचानक एक दिन प्रधानमंत्री टीवी पर दिखाई दिए और घोषणा हुई नोटबंदी की घोषणा की वो दिन था 8 नवम्बर 2016… और उनके इस फैसले से देश में अफरातफरी मच गई, बैंको के बाहर सिर्फ आम आदमी लाईनों में खडा हुआ मिला। मोदी जी ने गोवा में एक भाषण दिया और रोते हुए लोगों से 50 दिन मांगे और लोगों ने देशहित मानकर वो सब स्वीकार किया कि मोदी जी हैं सब अच्छा ही करेंगें। और वो पचास दिन भी बीत गये। भारतीय बाजार और व्यापार नोटबंदी की भेंट चढ गया। विश्वस्तरीय पुष्कर मेला भी उसकी भेंट चढा, शादीयों का सीजन था वो सब भी नोटबन्दी की आग में लगभग जल गये लोगों ने ब्याज पर बाजार से पैसे उठाकर अपने कार्य पूरे किये जबकि उनके खाते में पैसे थे। इन सबके बाद नतीजा ये निकला कि जितने नोट बाजार में थे सब वापस रिजर्व बैंक पहुंच गये। किसी के खिलाफ कोई कार्यावाही नहीं की गई। और कालेधन का मुद्दा गौण हो गया। इस कार्यावाही का क्या कारण था इस बारे में हर व्यक्ति अपने अलग अलग तथ्य देता है पर मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या इसके पीछे उत्तर प्रदेश जैसे बडे राज्य के विधानसभा चुनाव तो नहीं थे जहां कि बाजार में आने से पहले भाजपा नेताओं के घरों में नोट होने की खबरें समाचार पत्रों और न्यूज चैनल्स पर आई। बहरहाल ये मुद्दा निपट चुका था। सबने अपने अपने मत दिए और बाद में मेरे अनुसार ये एक विफल क्रिया साबित हुई। इसमें भी आतंकवाद को ख़तम करने के तौर पर अपने आप को सही साबित करने की कोशिश लेकिन उस बात पर भी नाकामी ही हाथ लगी….
इसके बाद एक नया मोड आया और GST की घोषणा हुई।
GST जिसका की मोदी जी ने मुख्यमंत्री रहते हुए घोर विरोध किया! कई बार सभाओं में भी बताया की GST देश की लिए घातक है को 18% से बढाकर 28% पर लागु किया गया…. पुरे देश में GST का विरोध हुआ पर कोई परिवर्तन नहीं किया गया! बाद में गुजरात चुनाव से पूर्व GST में परिवर्तन किये गए GST को वापस 18% पर लाया गया! रिटर्न भरने में भी छूट दी गयी! मेरे कहने का मतलब ये कतई नहीं है की ये सब गुजरात चुनाव में फायदे के लिए किया गया क्योंकि देश का एक बड़ा व्यापारी वर्ग गुजरात से सम्बन्ध रखता है!
इसके बाद हुए गुजरात चुनाव जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच अच्चा मुकाबला हुआ और मोदी जी द्वारा दी गयी GST की छूट का वहा पर्याप्त असर देखने को मिला और अंततः गुजरात चुनाव भाजपा और मोदी जी के पक्ष में गया !
कर्णाटक चुनाव में मोदी जी ने रैलियां की उसके कारण भाजपा एक बड़े दल के रूप में उभरी और सरकारी मशीनरी का उपयोग कर वहां बिना बहुमत सरकार बनाने की कोशिश की गयी और देश भर में विरोध के बाद वहां फ्लोर पर जनमत संग्रह किया गया और जनमत विजयी हुआ और वहा भाजपा की सरकार नहीं बन पाई!
अभी वर्तमान में जम्मू कश्मीर मुद्दे पर काफी समय से देश चाहता था की ये गठ्बंदन समाप्त हो परन्तु सत्ता के लोभ के कारण यह सब इतना लेट हो गया की अलगाववाद काफी स्तर तक बाधा यही कार्य यदि 370 के महबूबा मुफ़्ती के देश विरोधी बयान के बाद ही तोड़ दिया जाता तो शायद काफी हद तक इसे रोका जा सकता था………
इसके बीच एक उपलब्धि मोदी जी के के खाते में आई पंजाब और कर्णाटक को छोड़ कर मोदी जी लगभग सभी राज्यों में अपनी सरकार बनाने में सफल रहे…. मोदी की भाषण शैली वास्तव में इतनी प्रभाव शाली है की वो अपने समस्त विरोधियों को अपनी भाषण क्षमता के बल पर हराने का माद्दा रखते है और इन सब में उनका साथ देती है इन्टरनेट आई टी सैल और देश के युवा जिन्हें आई टी सैल के माध्यम से भ्रमित किया जाता रहा है…. मोदी जी मुख्यमंत्री काल से ही सिर्फ बोलते है और जोरदार बोलते है शायद उन्हें यह नहीं पता की वो सत्य बोलते है या असत्य लेकिन बोलते प्रभावी ढंग से है…. लेकिन वो इतना असत्य बोलते है की जिसे स्वीकार कर पाना बुद्धिजीवी वर्ग के लिए असहनीय हो जाता है…. जैसे एक बार उन्होंने अपने भाषण में सरदार भगत सिंह का अंदमान निकोबार की जेल में होना बताया उन्होंने बताया की भगत सिंह को काले पाणी की सजा हुयी…. अब सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा दी गयी थी… फिर भी एक राज्य के तीन बार मुख्मंत्री रहे श्री नरेन्द्र मोदी जी उस बात को कहने के बाद भी शर्मिंदा नहीं हुए…. उसके बाद एक कर्णाटक चुनाव में दिए गए भाषण में भी उन्होंने नेहरु जी को बदनाम करने के अपने प्रयास में काफी झूट बोले जिन्हें मैं अपने फेसबुक पर एक विडियो और स्पष्टिकरण के साथ पोस्ट कर चूका हूँ!
उपरोक्त सभी इसमें और भी कई ऐसे मुद्दे है जिन्हें मैंने अपने इस लेख में स्थान नहीं दिया उन पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी …
फ़िलहाल उपरोक्त इन सब बातों पर ध्यान देने के बाद एक चीज़ तो स्पष्ट है की मोदी जी सत्ता पसंद व्यक्ति है जिन्हें सत्ता किसी भी कीमत पर चाहिए चाहे वो उन्हें केशुभाई पटेल को किनारे करके हासिल की हो या केंद्र में श्री लालकृषण आडवानी जी को किनारे करके…. उसके बाद सभी राज्यों के परिणाम और प्राप्त की गयी सत्ता के बारे में आप सभी को ज्ञात है की क्या क्या हुआ जब एक व्यक्ति सभी को प्रभावित करने के लिए असत्य वाचन करता है इसका ये मतलब है की वह किसी भी कीमत पर अपने आपको सही साबित करना चाहता है…
आगे अब देश की जनता समझदार है मैंने सिर्फ मेरी राय आप लोगो तक पहुचाई है बाकि आप सभी समझदार है और खुद भी समझ सकते है ये मेरा नजरिया है…..
त्रिवेन्द्र कुमार पाठक

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