अब गधे को जेब्रा बनाकर ठगा जा रहा है !

शिव शंकर गोयल
खबर है कि मिश्र की राजधानी काहिरा के चिडिया घर में गधे पर काली-सफेद धारियां पेंट कर जेब्रा बना कर खडा कर दिया गया ताकि वहां जाने वाले दर्शक भ्रमित होते रहे. इधर गधे के भी भाव बढ गए.
जब यह खबर दुनियां भर के अखबारों में छपी तो हमारें देश के कुछ लोगों को एतराज हुआ. उनका कहना है कि मिश्र तो कर्नल नासिर के समय से ही हमारा परम मित्र रहा है. उसे हमारें देश के पेटेंट यानि कॉपी राइट अधिकार का यों उल्लघंन नही करना चाहिए क्योंकि भ्रमित करने के इस “ट्रेड सिक्रेट” का तो हमारे यहां आजादी के बाद से ही बहुतायत से इस्तैमाल होता आया है.
कुछ समय पूर्व उदयपुर के गुलाब बाग चिडियाघर में एक नीले रंग के मगर मच्छ को दिखाया गया जिसे देखने काफी भीड उमडी. वहां उपस्थित कुछ लोगों ने उसे नीलवर्ण मकरधीश घोषित कर दिया और आनन-फानन में सिन्दूर एवं पूजा-पाठ का सामान लाकर अराधना करने लगे जबकि कुछ लोग चिडियाघर के बाडे में ही उसका मंदिर बनाने की जिद्ध करने लगे और इसके लिए ईटें वगैरह भी ले आए. दूसरी तरफ एक अन्य समुदाय के लोग उस स्थान को अपना उपासना स्थल बनाने पर आमदा होगए. वह तो भला हो वहां मौजूद कुछ समझदार व्यक्तियों का जिन्होंने लोगों को किसी तरह समझा-बुझाकर मामला शांत किया. बाद में पता लगा कि यहतो चिडियाघर में रंगाई-पुताई करते वक्त कर्मचारियों द्वारा हुई लापरवाहीका नतीजा था.
इसी तरह देश की राजधानी के लुटियन्स क्षेत्र में बंदरों का काफी प्रकोप है. जानकार लोग बताते है कि वानर लंगूर में जाति दुश्मनी है. इस कमजोरी का फायदा उठाने के लिए कुछ लोग समय समय पर उन्हें आपस में लडाने की कोशिश करते रहते है. लंगूरों को पालने वाले मदारी बताते है कि लंगूर आसानी से मिलते नही है. पिछले दिनों इस कमी को पूरा करने के लिए कुछ पढे-लिखें बेरोजगार युवकों को भर्ती किया गया जो न तो गटर की गैस से चाय और ना ही पकौडों का ठेला लगाने में कामयाब हो रहे थे. वह पान की दुकान भी नही लगा पाये, जिसका सुझाव पिछले दिनों त्रिपुरा के मुख्य मंत्री ने दिया था. आखिर इन युवकों को बाकायदा लंगूर की ड्रैस पहनाई गई और लंगूर की तरह ही आवाजें निकालने की ट्रेनिंग भी दी गई लेकिन बताते है कि बंदरों को इस बात की भनक लग गई और वह आदमियों की इस चाल में नही आए.
इसी कडी में यह खबर भी छपी है कि कर्नाटक के चिकमगलुरू के किसान अपनी फसल की रक्षा के लिए बिज्जू-पशु पक्षियों से फसल की रक्षा करने हेतु बनाया गया पुतला- की जगह देश के दो बडे नेताओं के कट आउट इस्तैमाल कर रहे है . यह कट आउट उन्हें पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों में हाथ लगे थे. कहते है कि इसमें तो किसानों को बडी कामयाबी हासिल हुई है.
हमारें देश में यह भी देखा गया है कि कुछ अपराधी किस्म के लोग गेरूआं कपडें पहनकर साधु-संत-कथावाचक बन जाते है. यह लोग आम लोगों के अंध विश्वास का फायदा उठाते है. इनमें से कुछ की कभी 2 पोल खुल जाती
ऐसे भी लोग है जो अनपढ होकर भी ललाट पर आढा या सीधा तिलक लगाकर पंडित बने फिरते है जबकि कुछ चालाक लोग सफेद कुर्ता-पायजामा पहन नेता बन जाते है. यह भी देखा गया है कि कुछ व्यक्ति फर्जी डिग्रियां लेकर झोला छाप डाक्टर बन मरीजों का ईलाज करते रहते है. कुछ लोग सैनिकों की पुरानी वर्दियों का भी दुरूपयोग करते देखें गए है ताकि आम जनता को भरमाया जा सकें.
ऐसे माहौल में एक निम्नलिखित खबर यह भी आई है :-
काले रंग का कुत्ता थमाकर एक बकरा ले भागे टप्पेबाज
सोशल मीडिया पर आ रही खबर के मुताबिक अशरफ नाम का एक युवक सोमवार देर शाम बकरा मंडी बकरे बेचने के लिए गया था। लोगों से खचाखच भरी बाजार में पैर रखने तक की जगह न थी। हर शख्स अपने हिसाब से बकरे की तलाश में था। धीरे-धीरे अंधेरा भी होने लगा था। इसके बाद अशरफ के पास एक शख्स आता है। मंडी में भीड़ के बीच एक युवक उनके पास आया और बोला कि चचा आपका बकरा छूट कर भाग गया था, जिसे वह पकड़ लाया है। कुत्ते के मुंह पर कपड़ा पड़ा होने और अंधेरा के कारण अशरफ टप्पेबाज के झांसे में आ गया। अशरफ के रस्सी पकड़ते ही टप्पेबाज ने उसके बकरों में से एक बकरा खोल लिया और भीड़ का फायदा उठा भाग निकला। अशरफ को इस बात का पता तब चला जब भौं-भौं कि आवाज आई। अशरफ असमंजस में पड़ गया कि आखिर ये हो क्या रहा है। खैर जैसे ही अशरफ को ठगी का अहसास हुआ उसने तुरंत ही इस मामले की जानकारी पुलिस को दी। इंस्पेक्टर अजय सेठ ने बताया कि तहरीर मिली है। जांच करके कार्रवाई की जाएगी। बकरी की कीमत लगभग छह हजार बताई गई।
कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे यहां बरगलाने का बहुत रिवाज है और बिना कहे ही हमें इसका कॉपी राईट अधिकार मिला हुआ है. ऐसे में किसी दूसरे देश के लोग इस पर अपना हक जतायें तो बुरा तो लगेगा न ?
शिव शंकर गोयल

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