रक्षा बंधन को मनायें बहिन बेटी के सुरक्षा कवच दिवस के रूप में

डा. जे.के.गर्ग
इतिहास साक्षी है कि भारत में सैकड़ों सालों से रक्षा बन्धन का पर्व मात्र बहिन-भाई तक ही सीमित नहीं था किन्तु भाई अपनी सगी बहिन के साथ साथ संयुक्त कुटुंब की अन्य सभी बहिनों के अतिरिक्त आसपास के पडोस में रहने वाली सभी छोटी बड़ी बहनों से राखी बंधवा था ( रानी कर्णावती ने तो मुगल सम्राट हमायूं को राखी भिजवा कर उससे रक्षा करने को कहा था प्रत्युत्तर में हमायूं ने भी कर्णावती की रक्षा की थी, इसलिये यह पर्व सभी धर्मों की बहिन- भाई के बीच था | ऐसा भी कहा जाता है कि यूनान के बादशाह सिकन्दर की पत्नी ने राजा पोरष को राखी बाँधकर अपना मुँह बोला भाई बनाया और युद्ध के समय राजा पोरषसे सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। राजा पोरष ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया। ) यहाँ तक पुरोहित भी अपने जजमान को राखी बांधते थे और जजमान अपने पुरोहित को रक्षा वचन देते थे | भोतिकता एवं एश्वर्य प्रदर्शन के माहोल में पिछले कुछ सालों में हमारे देश में निरंतर अबोध बालिकाओं से निरंतर बलात्कार की विभत्स अमानवीय घटनाएँ हो रही है, निर्भया कांड ने तो मानवता को ही शर्मशार कर दिया था जिसके विरोध में हजारों नरनारीयों,युवक युवतियों ने देश भर में प्रदर्शन एवं केंडिल मार्च कर आक्रोश व्यक्त किया जिसके फलस्वरूप सरकार ने बलात्कार,अपहरण,योनाचार एवं स्त्री सुरक्षा-अस्मिता हेतु कठोर कानून भी बनाये यहाँ तक बलात्कारियों को म्रत्यु दंड का भी कानून बनाया किन्तु इन सब कोशिशों के बावजूद बलात्कार,अपहरण जैसी नारकीय घटनाओं में कोई कमी नहीं आई वरन ऐसी घटनायें रोज बढती ही जा रही | सच्चाई यही है कि ऐसी अमानवीय घटनाओं को महज कानून,पुलिस या सरकार के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता है |

हमारे देश के लिये कलंक बन चुकी इन विभत्स घटनाओं को रोकने का एक मात्र रास्ता जन जाग्रति,जन अभियान,जन चेतना और सामाजिक चेतना ही है | समाज में व्याप्त नारी की असहजता एवं असुरक्षा को देखते हुए क्या यह तर्क संगत नहीं होगा कि राखी के पावन उत्सव पर बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो वह अपने भाई से यह शपथ और वचन लेकर राखी बांधे कि“भैया,जैसे आप मुझे पवित्र और स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते हैं एवं मेरी रक्षा का संकल्प लेते हैं वैसे ही आप इस राखी को मुझ से बंधवाते समय अपने मन में और मुझसे यह प्रतिज्ञा करो कि आप केवल मेरी ही नहीं किन्तु भारत की प्रत्येक नारी एवं युवती को बहन की तरह निर्मल,पवित्र और स्नेह पूर्णदृष्टि से ही देखोगे तथा हर माता वह बहन की लाज एवं अस्मिता की रक्षा भी करोगे।“ जब हर बहन अपने भाई से ऐसी ही प्रतिज्ञा करवायेगी तो अवश्य ही वो समय धीमें धीमें ही सही किन्तु आयेगा जरुर जब देश की हर माता-बहनें एव बेटियां सुरक्षित रहेगीं जिसके फलस्वरूप भविष्य में अपहरण,यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक दुखद घटनायें घटित नहीं होंगी । इस अवसर पर एक नई परम्परा का शुभारम्भ किया जाय यानि बहिन बेटियां समूह में अपनी गली मोहल्लो में पास पडोस में समूह बना कर जायें और पुरुषों-युवकों के कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर उनसे नारी-बहिन-बेटी की अस्मिता की जी-जान से रक्षा करने का सकंल्प करवायें | स्मरणीय रहे कि रक्षा सूत्र सभी वर्गो के पुरुषों की कलाई पर बांधे चाहें वो किसी जाति धर्म का हो, शिक्षित हो अथवा अशिक्षित | निसंदेह यह काम आसान नहीं है किन्तु किसी न किसी को सामाजिक क्रांति का शंखनाद तो करना ही होगा |

आईये रक्षा बंधन को मनायें वर्द्धावस्था सुरक्षा कवच पर्व के रूप में

वर्तमान समय में विगत कई वर्षों से सयुंक्त परिवारों की संख्या कम होती जा रही है और एकल परिवारों की संख्या लगातार बड़ती जा रही है | हमारा मन कराहने लगता है जब हम देखते हैं कि निर्धन परिवारों के साथ ही मध्यमवर्गीय और सम्पन्न परिवारों के बुजर्ग स्त्री-पुरुषों को बुढापें मे अपना शेष जीवन जीने के लिये बलात वर्द्ध आश्रमों या ओल्ड एज होम में जाना पड़ रहा है जिसको देख कर हम सभी के दिल में दुःख और विषाद उत्पन्न होता है एवं ह्रदय कराह उठता है| इस समस्या का समाधान करने और माता-पिता के बुढ़ापे को सुखद बनाने हेतु हम रक्षा बंधन के पर्व को भी हम एक बेहतरीन तरीके से उपयोग कर सकते हैं—रक्षा बंधन के दिन प्रत्येक पुत्र–पुत्री, परिवार के सभी अनुज परिजन अपने अपने अग्रजों से अपनी कलाईयों पर रक्षा कवच बंधवाये और अपने अग्रजों के सामने यह शपथ लें कि वे अपने कि वें अपने माता पिता और परिवार के सभी बड़े-बूढ़े यथा माता-पिता, दादा-दादी,नाना-नानी आदि की सभी तरह से देख भाल करेगें,उनकी समस्त सुख सुविधाओं का ख्याल रखेंगे एवं उनके प्रति हर प्रकार के दायित्वों का निर्वाह निष्ठा पूर्वक करते हुए उनकी सेवा सुश्रुषा करेगें जिससे उनका शेष जीवन निर्विघ्न एवं सुखद बनें| यही शपथ एवं प्रण कालान्तर में परिवार के बुजेगों का सुरक्षा कवच बनेगा |

अतः आइये ! इस रक्षाबन्धन के पर्व पर राष्ट्र रक्षा का संकल्प करें।सभी भारतीयों को एक दूसरे से रक्षा सूत्र में बांधे एवं राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र कल्याण हेतु कार्य करने का सकंल्प भी करें | यदि आप इन विचारों से सहमति रखते हैं तो आईये आज ही इसी क्षण से बहन-बेटियां की सुरक्षा और अस्मिता एवं हमारे वर्द्ध माता-पिता के खुशहाल-स्वस्थ जीवन हेतु जन जागरण सामाजिक चेतना अभियान का शुभारम्भ कर इस हेतु प्रकाश दीप जलाकर हमारे समाज में विध्यमान अंधकार-कालिमा को नष्ट करने के यज्ञ को सफल करें| इन भावनाओं को अपने स्तर पर फेसबुक,ट्विटर,सोशल मिडीया,प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम,लोकल चेनल्स,स्वयं सेवी संस्थाओं (NGO)स्कूलों,कॉलेजों,धार्मिक आयोजनों,सामाजिक आयोजनों पर प्रचारित और प्रसारित करें| इस संदेश का ऑडियो बनाये,वीडियो बनाकर यूटूयुब पर अपलोड करें,पारस्परिक वार्तालाप करें | स्थानीय प्रशासन से सहयोग लें | राज्य सरकारों से अनुरोध करें कि वे सभी शिक्षण संस्थाओं में परिपत्र भेज कर इस वर्ष 26 अगस्त 2018 रविवार को मनाये जाने वाले रक्षा बंधन पर्व पर बहिनों दुवारा अपने भाईयों से प्रतिज्ञा पत्र भरवाएं और सामाजिक क्रांति का शुभारम्भ करें |

डा. जे.के. गर्ग

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