भक्त बनना आसान नही है !

शिव शंकर गोयल
कहते है कि भक्त बनना आसान नही है. इसके लिए भक्ति के नौ गुणों में से किसी न किसी एक गुण को अपनाना पडता है, तबकही जाकर बात बनती है. कुछ नादान लोग ख्वामख्वाह ही किसी नेता विशेष के भक्तों से ईर्षा रखने लगे है. भक्ति के लिए बहुत पापड बेलने पडते है. धार्मिक ग्रंथों में तो भक्त बनने हेतु बहुत प्रकाश डाला गया है.
उदाहरण के लिए हिन्दू धर्म के प्रसिध्द ग्रन्थ रामचरितमानस के अऱण्य कांड में जिक्र है कि वनवास के दौरान भगवान राम का जब पंपा सरोवर में मातंग ऋषि के आश्रम में, जहां भीलनी शबरी सेवा किया करती थी, आना हुआ तब उन्होंने उसके झूठे बेर खाते हुए उसे नौ प्रकार की भक्ति बताई थी. “नवध भगति कहऊ तोहि पाही………..” उसके अनुसार संतों की संगति, कथा प्रसंग, उनके गुणगान आदि आदि है.
इसी तरह श्रीमद भागवत के सप्तम स्कंध में नृसिंह अवतार ने प्रहलाद को श्रवण, कीर्तन, स्मरण आदि भक्ति के विभिन्न रूप बतायें.
यही नही गीता के नौवें अध्याय के 24वें श्लोक में कृष्ण अर्जुन को कह रहे है तू मेरा भक्त होजा, मेरा पूजन करनेवाला बन, मेरे को नमस्कार कर आदि आदि. लगभग 2 यही बातें श्रीकृष्ण ने उध्दवजी को भागवत के ग्यारहवें स्कंध में उनके बद्रीनाथ जाने के समय कही.
इससे स्पष्ट है कि भक्ति प्राप्त करने हेतु उपरोक्त में से किसी एक अथवा अधिक गुणों का होना लाजिमी है तभी तो किसी का भक्त बनेगा या कहलायेगा.
इसी कडी में कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश के कौशम्बी जिले में , गुजरात के राजकोट में नेताजी के मंदिर बनाये. कुछ लोगों ने मोदी चालीसा बनाई. उसका बाकायदा पाठ करते है. कुछ विद्वान लोग सभा-सोसायटी में नेताजी के नाम का गुणगान करते रहते है. अधिक जानकारों ने नेताजी को नास्त्रोदम की भविष्यवाणी तक से जोड दिया है.
इधर केन्द्रीय मंत्री राधामोहन सिंह और वैंकटैया नायडू जी का उन्ही नेताजी के बारे में कहना है कि “भारत को भगवान का उपहार है मोदी. उधर बाबा रामदेव का कहना है कि नेताजी तो “राष्ट्रऋषि” है.
उन्नाव उत्तर प्रदेश के सांसद साक्षी महाराज ने मोदीजी की पत्नि की तुलना लक्षमणजी की पत्नि उर्मिला से करते हुए कहा कि मोदी के साथ उनकी पत्नि के व्रत की ताकत है.
कुछ भक्त मोदीजी को जगह जगह चांदी से तौल रहे है.
हरियाणा के चौधरी बीरेन्द्र सिंह का कहना है कि मोदीजी दस लाख का सूट पहनते है तो इसमें गलत क्या है ? वाकई चायवाला, फकीर या चौकीदार ही दस लाख का सूट नही पहनेगा तो और कौन पहनेगा ? आपही बतायें.
यह तो चंद उदाहरण है जो कुछ भक्तों ने अपनी भक्ति सिध्द करने के लिए उजागर किए है. इसके अलावा भी कई उदाहरण है. कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भक्त योंहि नही बन जाता उसके लिए अटूट भक्ति आवश्यक है.
शिव शंकर गोयल

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