BEYOUND THE BOUNDRIES

कल्पित हरित
श्रीलंका में चर्च पर हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया के अंतराष्ट्रीय मंचों को आतंकवाद के मुद्दे पर पुन: सोचने विचारने पर मजबूर किया है।
आतंकवादी हमले पहले भी होते रहे है पर इस बार को हमले का निशान श्रीलंका को बनाया जाना किसी के भी समझ नही बैठ रहा। कि किस कारण से श्रीलंका को निशाना बनाया गया और इसके जरिए किसे डराने की कोशिश या किस तक आतंकवादी अपना क्या संदेश पहुंचाना चाहते है। साथ ही दुसरी बात जो इस हमले से उभर कर आयी है कि क्या आतंकवाद अब अपने पांव पसारने की कोशिश में है। नयी जगहों को तलाश कर रहा है वह अपना आकार क्षेत्रीय से वैश्विक करने की फिराक मे है।
इतिहास ग्वाह है आज तक जितना भी आतंकवाद और आतंकवादी संगठन हुए है उनका संघर्ष आसपास कुछ मुल्को तक सीमित रहा है जो कि अपनी विचारधारा को स्थापित करने के लिए सरकारों व अन्य मूल्कों से संघर्षरत रहे है।
दरअसल जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व दो गुटो में बंट गया तथा शीत युद्ध चलने लगे तब उनमें अमेरिका और कई देशो ने दुसरे देशों के उग्रवादी संगठनो को बढावा देकर उन देशों में इसे अपने हित साधने का जरिया बना लिया। इराक में सद्दाम हो चाहे पाकिस्तान में तालिबान या अलकायदा इन संगठनों को पैदा करने में पश्चिमी देशों का ही हाथ रहा जो बाद में उन्ही के लिए मुसीबत साबित हुए।
इस बार आतंकवाद का परिपेक्ष्य कुछ अलग है जिस तरह मुख्यत ISIS उभरा उसने लगभग कई देशो से लोगों को शामिल किया गया। टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपनी विचारधार को फैलाया गया और अब जब अमेरिका ने ईराक से ISIS की समाप्ति की घोषणा की तो श्रीलंका में हमला कर उसने खुद के मौजूद होने का प्रमाण दे दिया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद पर वैश्विक नीति बनाने का प्रस्ताव रखा है जो आज अत्यंत आवश्यक है। पूर्व में जिस तरह देखा गया है कि कहीं पर भी पनपे किसी आतंकवादी संगठन में सबसे ज्यादा हाथ उसे मिलने वाली विदेशी मदद का होता है। अत कुछ वैश्विक मापदंड तैयार किए जाने चाहिए ताकि ऐसे संगठनो की मदद पर रोक लगे। आज के दौर में किसी क्षेत्रीय उग्रवादी संगठन को उस एक क्षेत्र की समस्या मान कर विश्व का उसपर ध्यान न देना या अन्य देशो द्वारा अपने फायदे हेतु उसे बढवा देना पूरे विश्व के लिए खतरा पैदा करना हो सकता है।
यहां मै दो लागो की बाते quote करना चाहूंगा पहली तो अमेरिका में राष्ट्रपति पद की उम्मीद्वार रही हिलेरी क्लिंटन कि “YOU CAN’T KEEP SNAKES IN YOUR BACKYARD AND EXPECT THEM ONLY TO BITE YOUR NEIGHBOURS.” दुसरी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की कविता की पंक्तिया “चिंगारी का खेल बुरा होता है “
पहले भी विश्व ऐसे कई दौर देख चुका है जिसमें उग्रवादी लोगो के हाथों मे सत्ता आई तो हिटलर जैसो ने concentration camps मे लोगों का कत्लेआम किया तो सद्दाम हुसैन जैसो ने कैमिकल हथियारों का उपयोग कर हजारों को मौत के घाट उतारा तो लादेन को अमेरिका ने भुगता और अलकायदा और तालिबान जैसो को लगातार भारत आज तक भुगत रहा है परन्तु फिर भी ये सभ किसी न किसी क्षेत्र तक सीमित थे पर ISIS के जरिए आतंकवाद का वैश्विक रूप सामने आया है वह अधिक खतरनाक है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियम तय होने चाहिए ताकि कोई देश न तो खुद आतंकवाद को हथियार के रूप में उपयोग करे जैसे हमारा पडोसी करता है और नही अन्य देश दुसरे देशो में ऐसे उग्रवादी संगठनों की मदद करे जिससे भविष्य में विश्व के लिए खतरा हो।

कल्पित हरित

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