जज़्बातों का एक ताना-बाना है ‘मेरे जज़्बात’

आजकल के युवा कवि या शायर आजाद ख्याल के होने के कारण जो कुछ भी कहना चाहते हैं वे कविता या नज़्म के माध्यम से बयान कर देते है। हिन्दी साहित्य हो या उर्दू अदब दोनों में ही लिखने का एक कायदा होता है। लेकिन जवाहर नवोदय विद्यालय के वाणिज्य के व्याख्याता पद पर कार्यरत युवा कवि फिरोज खाँ ‘रूचि’ ने अपनी रूचि के अनुसार लिखा है किसी नियम-कायदो में बंध कर नहीं। उनके कविता संग्रह ‘मेरे जज़्बात’ से सिद्ध हो जाता है कि उन्होनें किसी और के नहीं बल्कि अपने जज्बातों का एक ताना-बाना बुना है।
प्रकाशित संग्रह में छोटी- बडी़ कविताओं के अलावा कुछ मुक्तक को क्रम दिया जाए तो नब्बे रचनाएँ हैं। इन कविताओं में प्यार का पुल, सोचिए जरा, मलाल, मेरा हत्यारा,बात छोटी,जिंदगी दगा दे गयी, कैसा दौर और शुक्र ए खुदा बहुत ही अच्छी व पढने योग्य हैं। सभी कविताएं किसी ना किसी को सम्बोधित करते हुए लिखा गया है।कुछ कविताओं में प्रश्न किये गये हैं। युवा कवि के द्वारा जो अपने जज्बातों को दुनियां के सामने उजागर किया है वो काबिले तारीफ वाणिज्य के छात्र को इतने सुंदर ख्याल आना ही आश्चर्य की बात है। फिरोज खाँ ‘रूचि’ ने कविताएं ही नहीं लिखी बल्कि भावनाओं को कलम के माध्यम से व्यक्त किया है।मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहना चाहूँगा कि हो सके तो किसी कवि अथवा साहित्यकार का मार्गदर्शन अवश्य लें।
अभिनव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का मुख्य पृष्ठ बडा़ ही सुंदर व आकर्षक है। छपायी भी अच्छी ढंग से की गयी है लेकिन वर्तनी सम्बंधी कुछ त्रुटियां रह गयी हैं। लगभग एक सौ चार पृष्ठों की इस पुस्तक को कवि महोदय या प्रकाशक द्वारा कोई नाम नहीं दिया है जैसे कि ये कविता संग्रह है या नज़्मनामा है। शीर्षक के नीचे संग्रह का नाम भी होना जरूरी है ताकि पाठकों को पता चल सके कि पुस्तक में क्या है।यदि फिरोज खाँ ‘रूचि’ जी भी पुस्तक पर दो शब्द लिख देते तो और अच्छा होता। जनाब मतलूब अहमद द्वारा लिखी प्रस्तावना बहुत बढिया है।
साहित्य जगत में इस युवा साहित्यकार का स्वागत है। निश्चित रूप से इनका ये संग्रह भी पाठकों के दिल में उतरेगा। भविष्य में एक और अच्छे प्रयास के साथ नया संग्रह जल्द आए ऐसी मेरी शुभकामनाएँ है।
पुन: कवि फिरोज खाँ ‘रूचि’ को ह्दयतल से बधाई।

समीक्षक
गोविंद भारद्वाज
साहित्यकार
अजमेर

पुस्तक का नाम: मेरे जज़्बात
कवि : फिरोज खाँ ‘रूचि’
पृष्ठ : 104
मूल्य : 150/-
प्रकाशक. : अभिनव प्रकाशन
कचहरी रोड, अजमेर
समीक्षक : गोविंद भारद्वाज

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