दुनिया का एक मात्र मंदिर जहां महिला पुजारी करती हे पूजा

जैसलमेर के कुलदेवता क्षेत्रपाल का मंदिर जहां हिन्दू मुस्लिम विवाह बंधन रक्षा सूत्र खुलते हें
चन्दन सिंह भाटी
जैसलमेर | अपनी अनूठी संस्कृति और परम्पराओ के निर्वहन के लिए जाना जाने वाले जैसलमेर जिले में स्थानीय लोक देवता और कुलदेवता क्षेत्रपाल(खेतपाल ) का अनूठा और सांप्रदायिक सदभाव की मिशाल हे यह मंदिर जिला मुख्यालय से छ किलोमीटर दूर ,स्थित हें ,जैसलमेर का खेतपाल मंदिर, जहां पूजा के लिए महिला और पुरुष को जोड़े में आना जरूरी है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह क्षेत्रपाल और भैरव का मंदिर है, जो उनके खेत, क्षेत्र और इलाके की रक्षा करते हैं। प्रचलित मान्यता के अनुसार यहां पुराने समय में सिंध से सात बहनें आकर बसी थीं, जो देवियों के रूप में जैसलमेर के विभिन्न इलाकों में विराजित हैं। खेतपाल भैरव उन्हीं के भाई माने जाते हैं।करीब एक हजार साल पुराना यह मंदिर जैसलमेर शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर बड़ाबाग में स्थित है। देश के हर हिस्से से लोग यहां पूजा करने के लिए आते हैं। नवविवाहित जोड़े शादी के तुरंत बाद यहां पूजा के लिए पहुंचते हैँ। पति—पत्नी के बीच बांधा जाने वाले वाला विवाह बंधन सूत्र यानी कोकण डोरा इसी मंदिर में आकर खोला जाता है। जो लोग शादी के बाद यहां नहीं आ सकते, वे पूजा के लिए एक नारियल अलग रख देते हैं, जिसे बाद में भैरव को समर्पित कर दिया जाता है।
जहां स्थानीय वासिंदे शादी के बाद विवाह सूत्र बंधन जिसे स्थानीय भाषा में कोंकण डोरा कहते हें खोलने आते हें ,इस मंदिर में अब तक लाखो की तादाद में दुल्हा दुलहन धोक देकर कोंकण डोरा खोल हें खास बात की इस मंदिर की पूजा परम्परागत रूप से माली जाती की महिलाए करती हें ,दुल्हा दुल्हन से विधिवत पूजा पाठ महिला पुजारी कराती हें पूजा पाठ के बाद नव दम्पति के विवाह सूत्र बंधन क्षेत्रपाल को मान कर खोले जाते हें ,ताकि क्षेत्रपाल दादे की मेहर ताउम्र दूल्हा दुल्हन पर बनी रहे ,जैसलमेर राज्य की स्थापना के साथ यह परंपरा शुरू हुई थी सेकड़ो सालो से चल रही परम्परा आज भी निर्विवाद रूप से चल रही हें ,इस मंदिर में जैसलमेर के हर जाति धर्म के स्थानीय निवासी धोक देते हें ,क्षेत्रपाल को श्रध्दालु इच्छानुसार सवा किलो से ले कर सवा मन तक का चूरमा का भोग देते हें ,जैसलमेर में हर जाती ,धर्म में होने वाली शादी के बाद तीसरे या चोथे दिन नव विवाहित जोड़े के कोंकण डोरे खोलने बड़ा बाग़ स्थित क्षेत्रपाल मंदिर परिजनों के साथ आना होता हें .इसके बाद ही नव विवाहितो का विधिवत वैवाहिक जीवन का सफर शुरू होता हैं मंदिर में सिंधी मुस्लिम भी पूजापाठ के लिए नियमित आते हैं,स्थानीय मुस्लिम भी निकाह के बाद की परम्पराएं इसी मंदिर में पूर्ण करते हैं ,,.इस मंदिर में अब तक लाखो लोग अपने विवाह बंधन सूत्र खोल चुके हें ,विश्व का ऐसा एक मात्र मंदिर हें ,
इस मंदिर में वर्त्तमान में माली जाती की पचास वर्षीय महिला किशनी देवी पूजा पाठ का जिम्मा संभाल रही हें ,किशनी देवी ने बताया की क्षेत्रपाल मंदिर बड़ा चमत्कारिक और इच्छा पूरी करने वाला हें ,जैसलमेर में होने वाली हर शादी के नव विवाहित दम्पति की शादी की रस्म कोंकण डोरा क्षेत्रपाल को साक्षी मानकर ही खोले जाते हें ,उन्होंने गत तीन सालो में सेकड़ो नव दम्पतियों के विवाह बंधन सूत्र विधिवत पूजा पाठ करने के बाद वैवाहिक कोंकण डोरा ,खुलवाए हें उन्होंने बताया की जैसलमेर के लोग जो बाहरी प्रान्तों या विदेशो में भी हें वे भी कोंकण डोरा खोलने क्षेत्रपाल मंदिर आते हें ,क्षेत्रपाल को चूरमे का भोगचढ़ता हें ,किसी की मन्नत पूरी होने पर पशु बलि भी हें .पहले मंदिर परिसर में बलि दी जाती थी मगर अब परिसर में पशुबलि बलि करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया हें .
उन्होंने बताया की मंदिर की पूजा बड़ा बाग़ के स्थानी माली परिवार ही करते हें इसके लिए निविदा जारी होती हें ,जो ज्यादा विकास के लिए बोली लगते हें उसे क्षेत्रपाल की पूजा का अधिकार मिलाता हें ,उन्हें दो लाख सत्रह हज़ार में निविदा तीन साल पूर्व मिली थी . स्थानीय वन माली परिवार ही पूजा पाठ करते ,आये हें क्षेत्रपाल की पूजा महिलाए ही परंपरागत रूप से करती आई हें .मंदिर में जो भी चढ़ावा आता हें उससे उनके परिवार का भरण पोषण होता हें ,उन्होंने बताया की कोई परिवार विवाह के बाद क्षेत्रपाल की धोक देने की भूल करते हें उससे दादा क्षेत्रपाल जात मांग कर लेते हें लाखो की तादाद में क्षेत्रपाल के मुरीद परिवार हे जो देश ही नहीं विदेशो के कोने कोने में बसे हें,क्षत्रपाल का मूल बैग में स्थित हैं ,जंहा प्रतिदिन सेकड़ो लोग दर्शन करने आते हैं,जैसलमेर में घर घर की आस्था क्षेत्रपाल मंदिर से जुडी हैं

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