अयोध्या प्रकरण: अम्बेडकरनगर में शान्ति ही शान्ति

रीता विश्वकर्मा
अयोध्या प्रकरण और सुप्रीम कोर्ट का फैसला ये दोनों इस समय आम जन में जहाँ कौतूहल का विषय बने हुए हैं वहीं अयोध्या और फैजाबाद से सटे उत्तर प्रदेश सूबे के जनपद अम्बेडकरनगर में शान्ति का माहौल देखने को मिल रहा है। आने-जाने वाले राहगीरों, बस यात्रियों व रेल यात्रियों तथा जलपान की दुकानों पर ग्राहको की भीड़ तो जरूर देखी जा रही है परन्तु उनमें आपसी वार्तालाप में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कोई जिक्र सुनने को नहीं मिल रहा है। कार्यालय हों या फिर अन्य सार्वजनिक स्थान इन्हें देखकर ऐसा लगता ही नहीं कि कोई नई या फिर अनापेक्षित अनापेक्षित बात होने वाली है। सभी लोग अपने-अपने रोज के काम में ही मशगूल दिख रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आगामी फैसला किस दिन सार्वजनिक होगा यह बता पाना मुश्किल है, किन्तु इसके दृष्टिगत प्रशासन व पुलिस महकमा काफी सक्रिय हो गया है। जगह-जगह शान्ति कमेटी की बैठकें हो रही हैं। निर्णय आने के उपरान्त किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन व पुलिस अमला ने पहले से ही सभी प्रकार की तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। सम्भ्रान्त जनों से सम्पर्क कर शान्ति व्यवस्था में सहयोग देने की अपील की जा रही है। शहर, कस्बे व गाँवों में पुलिस महकमा नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से दोनों सम्प्रदायों के लोगों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए हर हाल में शान्ति व सद्भाव बनाये रखने की अपील कर रहा है।
प्रशासन भले ही चुस्त-दुरूस्त व मुस्तैद हो लेकिन अम्बेडकरनगर जिले का अवाम चुप और शान्त है। सभी लोग अपना-अपना कार्य पूर्व की भाँति यथावत कर रहे हैं। किसान खेती-किसानी में व्यस्त है, तो मजदूर अपनी दैनिक मजदूरी में और सेठ साहूकार अपने व्यवसाय में। तात्पर्य यह कि जिले का हर तबका अपने-अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त है।
हम यहाँ बताना चाहेंगे कि अयोध्या एवं आस-पास के कथित संवेदनशील क्षेत्रों को चार जोन में बांटा गया है। लाल, पीला, हरा और नीला जोन। अम्बेडकरनगर को नीला जोन में रखा गया।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ किसान धान की कटाई, गेहूँ, सरसो, मटर, चना व आलू आदि की बोआई में व्यस्त हैं वहीं बुनकर बाहुल्य क्षेत्रों जैसे- टाण्डा, जलालपुर, हंसवर, इल्तिफातगंज, किछौछा, नरियाँव आदि में पावरलूमों की खटर-पटर पूर्ववत जारी है। यहाँ बता दें कि अम्बेडकरनगर में कुल 5 तहसीलें हैं- अकबरपुर, टाण्डा, जलालपुर, भीटी, आलापुर। इनमें जलालपुर व टाण्डा बुनकर बाहुल्य (अल्पसंख्यक) क्षेत्र है। अकबरपुर, भीटी व आलापुर में बुनकरों की संख्या अपेक्षाकृत कम ही है। हमने जिले के सभी ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्रों का भ्रमण कर जायजा लिया तो पाया कि सभी लोग रोज की तरह अपने-अपने कामों में ही मस्त हैं।
सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर अपनी ऊट-पटांग पोस्ट व टिप्पणियाँ देने वालों ने खामोशी अख्तियार कर ली है। एकदम से सन्नाटा छाया हुआ है। इसे पुलिस व प्रशासन की सख्ती कहें या फिर उनके द्वारा की गई अपील का असर, जिसने सोशल मीडिया पर छाये हुए यूजर्स को खामोश रहने के लिए विवश कर दिया है। आश्चर्य तो इस बात का है कि फेसबुक या फिर अन्य सोशल मंचों से कोई यह नहीं पूछ रहा है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है और कब तक आयेगा………?

-रीता विश्वकर्मा
8765552676, 8423242878

error: Content is protected !!