26 दिसम्बर को पड़ने वाले सूर्यग्रहण के प्रभाव

ज्योति दाधीच
5 नवम्बर को देव गुरु बृहस्पति का स्वराशि धनु में गोचर में आना एवम धनुराशि में पूर्व से ही शनिदेव के साथ छाया ग्रह केतु के स्थित होने एवम 26 दिसम्बर को पड़ने वाले सूर्यग्रहण के फल स्वरूप देश विदेश में निर्मित होंगे कुछ प्राकृतिक घटनाओ अर्थात प्राकृतिक प्रकोप के कुछ योग :-
गुरू शनि केतु की युति धनु राशि मे हो रही है इससे देश विदेशों मे सभी जगह प्राकृतिक प्रकोपो से दो चार होना पडेगा,एवम आगामी माह26 दिसम्बर में पड़ने वाले सूर्य ग्रहण से 20 जनवरी तक बहुत सारी घटनाएं देश को देखनी पडेगी , 130 साल पश्चात बनने जा रहा है एक विशेष योग जब अमावश्या (मलमास) में पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के दिन ही सूर्य,चन्द्र,बुध,गुरु,शनि,केतु,प्लूटो सातों ग्रह एक ही घर धनु राशि मे होने के कारण विश्व मे रेल दुधर्टना, हवाई दुधर्टना, सामुद्रिक दुर्घटनाएं, अति वर्षा, ओले आधीं, तूफान, व महामारी का सामना करना पडेगा अतिवर्षा के कारण स्थिति बड़ी कष्ट दायी होगी वहीं सन 2019 का तीसरा ओर अंतिम सूर्यग्रहण26 दिसम्बर को कंर्कणरूपी सूर्य ग्रहण कृष्णा अमावस्या, दिन गुरुवार, राशि धनु के मूल नक्षत्र मे होगा ये खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत मे सिर्फ दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में दृश्यमान होगा जो प्रातः 8 बजकर 10 मिनट को स्पर्श होगा और मोक्ष 10 बजकर 11 मिनट पर होगा ,उसी दिन सूर्य चंद्र बुध गुरू शनि केतु प्लूटो 7ग्रह एक साथ इकट्ठे रहेंगे सातों ग्रहो की प्रकृति अपनी अलग रहती है जो दुनिया भर के लिये असहनीय दुखदायी होगे इससे सुनामी, महामारी जैसे असहनीय असंख्य योग बन रहे है । 7 ग्रहो का एक राशि मे भ्रमण भारत,श्री लंका पूर्वि यूरोप, आस्ट्रेलिया ,अफ्रीका पूर्व भाग के देश, हिंद महासागर के लिये विनाशकारी साबित होगे उपरोक्त भूखंड प्रदेश, राज्यों की उथल पुथल, सत्ता पक्ष मे भी तकलीफे उत्पन्न हो सकती है। विरोधी बलवान हो जायेगे। महंगाई बढेगी, बीमारी, पैसो की स्थिति डावांडोल रहेगी। आंतरिक मे ग्रहयुद्ध योग दक्षिण भारत मे वर्चस्व, सत्ता परिवर्तन के विशेष योग बनेंगे| उपरोक्त महाविनाशकारी खगोलीय घटनाएं घटित होंगी । ग्रहण पर अमावस्या तिथीमें नागकरण, नागपाश, होने के फलस्वरूप प्रजा पर असहनीय पीडा बढेगी ,गुरू (जीव) के लिये आपतिजनक साबित होगे। खगोलीय घटना अनुसार मृत्यु दर बढेंगी।
न्यूनतम स्तर की राजनीति बढेगी अपना पक्ष पलटने वालो की संख्या ज्यादा होगी। आतंरिक विग्रह के कारण विधान, लोक सभा सभी राज्य सभा मे जो भी सरकार होगी उसका पक्ष घटेगा । अर्थमयी जीवजंतुओ के कारक रोग भी बढ जायेगे वैज्ञानिक भी ये रोग खत्म करने के लिये असमर्थ हो जायेगे। 7 ग्रहो का एक राशि मे होना और उसमे ग्रहण दुखद स्थिति उतपन्न करेगा , कुदरती आफत ज्यादा रहेगी।
वर्षो पूर्व1962 मे एक राशि मै 8 ग्रह इकट्ठे हुए थे उस समय भारत चीन का युद्ध हुआ था जिसमे भारत को भारी नुकसान हुआ था इस बार 7 ग्रहो व ग्रहण साथ मे होने के कारण देश व समाज और राजनीति के लिए भी चिंता का विषय है। प्रभु सब जीवो पर दया रखे
जय माता जी की,

ऐस्ट्रो ज्योति दाधीच,तीर्थराज पुष्कर ,राजस्थान।

error: Content is protected !!