अरे ! प्याज तो यह रहा

हास्य-व्यंग्य
खबर है कि प्याज फिर गायब होगया है. वह आम आदमी की पहुंच से कही दूर चला गया है. प्याज की बडी महिमा है. राजस्थान में बहू जब अपनी सास के तानों से तंग आजाती है तो अपनी “मन की बात” इन शब्दों में कहती है “कब मरेगी सासू, और कब आयेंगे आंसू” परन्तु प्य़ाज में वह ताकत है कि वह रसोई में बहू के नित्य ही आंसू ला देता है. गर्मियों में लोग इसे अपने बटुएं के साथ जेब में रखते है ताकि लू नही लगे. खैरथल का सफेद प्याज आंखों की दवाई में काम आता है तो नासिक का लाल प्याज वहां के त्रियंम्बकेश्वर महादेव की तरह ही देश भर में मशहूर है.

शिव शंकर गोयल
इसे राजस्थान में कांदा कहते है. आज भी आम ग्रामीण, गरीबी हटाओ, इंडिया शाईनिंग, और सबका साथ, सबका विकास के थोथे नारों के बावजूद सिर्फ प्याज के साथ अपनी रोटी खाता है. कहां है तेल-घी और केलोस्ट्रोल की बातें ? इस प्रसंग में एक किस्सा है. आखातीज पर आधी रात को जब एक सोए हुए किशोरावस्था के दूल्हें को उसके पिताजी ने जगाते हुए कहा कि उठ फेरें खालें-शादी की रस्म-तो उसने जवाब दिया कि कांदे के साथ खाऊंगा. कहने का मतलब यह कि प्याज नही तो शादी नही. ऐसा महत्वपूर्ण प्याज आज सब्जी बाजार में दुर्लभ होरहा है. बलिहारी है !
काश ! आज अगर मशहूर लेखक फिक्रतौंसवी -स्व. रामलाल भाटिया- होते तो अपनी मशहूर “प्याज के छिलके” वाली रचनाओं से बात बात में बात निकालते. प्याज को पता है कि वह है नही फिर किस बात की फिक्र ? सरकार और अपने मालिकों के साथ मिलकर मनमानी करो.
लेकिन कुछ खोजबीन करने वालों का कहना है कि प्याज जमाखोरों और काला बाजारी करने वालों के गोदामों में छुपा हुआ है और “…..खेलें आंख मिचौनी आ, बागों मे बहारों मे, मैं ढूंढू, तू छुपजा ….”फिल्मी गाना गा रहा है. आम किसान तो कह रहा है कि व्यापारियों के आढतिएं उनसे 4-5 रू. किलो के भाव से खरीदकर लेगए और अब वह मंडी में 100-150 रू. के भाव से बिक रहा है. कुछ जानकारो का तो यहां तक दावा है कि मॉल इत्यादि में तो प्याज 200-300 रू. किलो तक में बिक रहा है और वह भी पेन कार्ड या आधार कार्ड दिखाने पर. वह मॉल ही क्या जहां कोई चीज महंगी ना मिले लेकिन वहां जाने से स्टैन्डर्ड भी तो बढता है. है ना ? वही कुछ लोगों ने बताया कि रेवन्यू इन्टेलिजैन्स के कुछ खुफिया लोग यह जानकारी भी एकत्रित कर रहे है कि कौन कौन पांच किलों से अधिक प्याज खरीद रहा है, ताकि वक्त बेवक्त काम आएं.
वैसे प्याज का यकायक यूं गायब होजाना अच्छा शकुन नही है. एक बार पहले भी यह गायब होगया था तो सरकार चली गई थी. आपतो जानते ही है कि अपने देश में शकुन-अपशकुन को काफी महत्व दिया जाता है. मसलन रामचरितमानस के अयोध्या कांड-दोहा 156 – के अनुसार दशरथ की मृत्यु के बाद जब भरतजी कैकेय प्रदेश से अयोध्या लौट रहे थे तो उन्हें कई अपशकुन दिखें जैसे खर ढांया, विष जीवणा आदि आदि अत: विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज से सावधान रहना चाहिए. भक्त इस मुगालते में ना रहे कि सन 2022 तक कुछ होनेवाला नही है. महाराष्ट्र में कुछ अंदाजा था क्या ? लेकिन सब उलट-फेर होगया. “चौबेजी छब्बेजी बनने गए थे, दुब्बेजी बन गए”. रोगी तो नही लेकिन भोगी और योगी कभी भी कुछ भी कर सकते है. जब “सेना” ही दगा देगई तो वजीरो, कारिन्दों की क्या बिसात ?
अब कुछ खोजियों ने बताया है कि प्याज तो र्थी से फाइव स्टार होटलों में गोल्डन गेट, चक दे फटटे, नप्प दे किल्ली या मिस्टी वेजी टिल्ली आदि नामों से पिजा के साथ मिल रहा है जिसकी कीमत 400-500 रू. प्रति प्लेट है.

शिव शंकर गोयल

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