छप्पन इंच की छाती और छत्तीस इंच वालों की शादी

शिव शंकर गोयल
जैसे कभी छप्पन इंच की छाती मशहूर हुई थी वैसे ही अब छत्तीस इंच वालों की शादी प्रसिध्द हो रही है जिसमें दूल्हा-दुल्न दोनों ही कद में छत्तीस इंच के. कोई कम नही. Equality before law के हिसाब से भी यह सही है. यह खबर है मध्य प्रदेश के खंडवा के पास के पुनसा स्थान की.
आगे यह भी बताया गया है कि इस शादी में बहत्तर -72- पंचायत सचिव शामिल हुए. यह पता नही लग रहा कि इनमें 36 बाराती और 36 घाराती थे या और कोई अनुपात था. पत्रकार आजकल पक्षपाती होगए है, पूरी बात नही बताते. खबरों में यह भी नही बताया गया कि 72 सचिवों का इकट्ठा होना महज एक संयोग था या वर-वधु की उम्र जोडकर बारात बनाई गई.यह भी कोई नही बता रहा कि बारात में दूल्हा-दुल्हन के मौसा-फूफा भी थे या नही क्योंकि उनके बगैर बारात अधूरी रहती है. इनमें से जब तक कोई रूठता नही शादी का मजा नही आता.
वैसे अपने यहां रिश्तों में 36 का आंकडा ज्यादा शुभ नही माना जाता. कहते तो यहां तक है कि रिश्तों में 36 की बजाय 63 का संबंध होना चाहिए और फिर पति-पत्नि में ? देखा जाय तो आंकडों के फेर में पडना ही नही चाहिये. पिछले कुछ अर्सें में हमने देखा आंकडेबाजी का क्या हाल हुआ ? शुरूआत हुई छप्पन इंच की छाती से फिर सबके खातों में 15-15 लाख रू, हर साल दो करोड नौजवानों को नौकरी से बात आगे बढती बढती 70 साल के कुशासन से 5 साल के सुशासन होती हुई पांच अरब की अर्थ व्यवस्था तक के जुमलों तक गई. आखिर हुआ क्या ? इसीलिये फिल्म “सट्टा बाजार” में जॉनी वाकर ने पहले ही “आंकडें का धन्धा एक दिन तेजी सौ दिन मंदा, बाबू छोड यह काम. नही तो बोलो ही राम, बोलो ही राम”. कह कर चेता दिया था परन्तु हम कहां मानने वाले है ?

शिव शंकर गोयल

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