फिर खौफनाक अंधेरों ने मुझे डराना चाहा है

बी एल सामरा “नीलम “
मेरे भविष्य को नेस्तनाबूद करने के अभियान में, आज वे लोग भी शामिल हैं , जो कल तक मेरे विजय जुलूस की अग्रिम पंक्तियों में थे । पर मैं भाग्य या समय को दोष न
दूंगा ना ही उन क्षुद्र आत्माओं से कुछ कहूंगा क्योंकि मैं जानता हूं कि इंसान माटी का पुतला है और पुतलों से देवत्व की अभिलाषा रखना ,निरा पागलपन है । पर ऐसा भी नहीं कि मैं यह लड़ाई हार जाऊंगा । मेरा संकल्प है ,मैं तूफान के उस पार जाऊंगा । आज कोई भी अंधेरा इतना बलशाली नहीं , जो रोशनी से लड़ सके । इसलिए तिमिर के तमाम साथियों, मुझसे आंख लड़ाने का दुस्साहस मत करो । सत्य सनातन सत्य है , परमात्मा से डरो , अपनी मौत मत वरो । मेरे साथ आओ, उजाला फैलाओ । कर्मठ वर्तमान से ,उज्जवल भविष्य बनाओ । यही मेरी अभिलाषा है ।

सुरेंद्र नीलम
पूर्व प्रबन्ध सम्पादक कल्पतरू हिन्दी साप्ताहिक एवं सह संपादक मगरे की आवाज पाक्षिक

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