लो फिर हुआ विश्वासघात, दल बदलू पिट्ठूओं का

बी एल सामरा “नीलम “
लॉलीपॉप देखकर
जनता द्वारा चुने हुए नुमाइंदों ने अपना पाला बदल दिया।
किनारा कर लिया ,
कुछ अवसर वादी बेशर्म लोगों ने निर्वाचित सरकार को मंझधार में छोड़कर ।
कल रात भी हमला किया था, सत्ता के भूखे भेड़ियों ने सत्तारूढ़ मेमना पार्टी पर ।
बिचारी मेमना पार्टी चिल्लाती रही,चीखती रही ,
दलीय एकता छटपटाती रही। मगर जूं नहीं रेंगी ,
बाहुबली पार्टी पर ।
राजनीति नीलाम हो गई ,
चुने हुए जनता के नुमाइंदे
बिक गये चांदी के चंद टुकड़ों की चकाचौंध में ।
दौलत के दुशासन ने
चीर हरण कर लिया निर्वाचित सरकार का ।
दल विधेयक सोता रहा ,
कानून का डंडा लेकर बाजू में । भीष्म पितामह असहाय से
देखते रहे।
अपना जमीर बेचकर
पाला बदलने वाले बेखबर सोते रहे ।
लोकतंत्र देश का नीलाम हो गया, आत्मा मेरी सिसकती रही रात भर ।
क्या जनता इस देश की
माफ कर देगी
दौलत की चकाचौंध से
सरकार गिरा कर
सत्ता हासिल करने वाली हस्तियों को ,
सत्ता के लालची दोगले किरदारों को ।
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र आंसू बहा रहा है आज
अपनी दुर्दशा पर ।
संविधान के निगहबान सो रहे हैं, राजपाल आज धृतराष्ट्र और राजनीति गांधारी हो गई है। कानून सरकंडे बन गये और
दलबदल हथकंडे बन गए हैं ,
सत्ता हथियाने के ।
महाभारत इस खेल में –
कृष्ण अप्रासंगिकं हो गए हैं । सरकार गिराकर
सत्ता हथियाना राजनेताओं का आज राजधर्म हो गया ।
राजनीति से राम धर्म विदा हो गया है ।
क्या मेरे देश के लोकतंत्र की यही नियति है ?

*बी एल सामरा*

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