अपनी अपनी सोच

शिव शंकर गोयल
सोसायटी के हॉल में मीटिंग चल रही थी. इतने में ही एक व्यक्ति के मोबाइल की घंटी बजी. उस आवाज को सुनकर कई लोगों ने अपने 2 फोन को टटोलना शुरू कर दिया. जिस आदमी के फोन की घंटी बजी उसने अपने फोन पर उधर से आवाज सुनकर ऊंची आवाज में पूछा, सेल ? इधर सेल शब्द सुनते ही वहां बैठे हुए कई लोग अपने 2 मन में सोचने लगे. सेल ?
मसलन बायलॉजी के अध्यापक ने सोचा कही शरीर के स्टैम सेल – कोशिकाओं- की बात तो नही हो रही है ? उधर कैंसर के डा. साहब सोचने लगे कि ब्लड कैंसर के ईलाज में काम आ रहे कारन्टी सेल की बात तो नही हो रही है. वही थोडी दूर बैठे एनोटॉमी-शरीर विज्ञान-पढाने वाले मेडीकल के प्रोफेसर साहब की सोच थी कि ब्लड सैल की बात हो रही होगी.
दूसरी ओर राजकीय कन्या विध्यालय में फिजिक्स के प्रोफेसर सैल शब्द सुनकर बैटरी के सैल की उधेडबुन में लग गए. उनसे कुछ दूर ही बैठे न्यू लाजपत नगर बाजार में घडी की दुकान करने वाले हीरालालजी घडी के सैल की सोचने लगे.
हॉल के एक कोने में बैठे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर देश की गिरती हुई अर्थ व्यवस्ता को लेकर सोचने लगे जिसमें कहा गया है कि ऑटोमोबाइल सहित कई उत्पादों की सेल में लगातार गिरावट आ रही है. हो न हो उसी सेल की बात हो रही होगी.
अपनी 2 धारणा, अपना 2 कार्यक्षेत्र. उसी के अनुरूप इंगलिश के अध्यापक सोच रहे थे कि अभी कल ही तो वह क्लास में बच्चों को “सेलिंग इन दा सेम बोट” –लहरो के साथ बहना, नाव खेना – फ्रेज का मतलब समझा रहे थे. कही आज उसी सेल की ही बात तो नही होरही है ?
सभा में एक बुजुर्ग भी बैठे थे. उन्होंने आजादी की लडाई में अंडमान जेल सहित विभिन्न जेलों में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई सेल्यूलर जेल के बारे में सुन रखा था सोचने लगे कही उन्ही सेल की बात हो रही हो.
सभा में मौजूद एक डाक्टर साहब मौजूदा कोरोना विपदा के वायरस के बारे में सोचने लगे जिसके बारे में कहा जाता है कि उस वायरस के सैल का डायमीटर 400-500 माइक्रोन होता है जिस कारण उसे मास्क से रोका जा सकता है.
मिटिंग में भारत सरकार की स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया यानि सेल के उच्चाधिकारी भी थे जिन्हें लगा कि हमारे विभाग का जिक्र हो रहा दिखता है. वही अंतराष्ट्रीय कम्पनी सेल का स्थानीय प्रतिनिधी अपनी कम्पनी के बारे में सोचने लगा.
कहने का तात्पर्य यह कि वहां बैठे सभी विद्वान अपने 2 क्षेत्र में सेल या सैल या शैल की सोचने लगे कुछ लोग धार्मिक प्रकृति के थे. उनमें से एक को य़ाद आया कि रामायण में सुन्दर कांड के शुरू में ही लंका लांघते समय हनुमानजी के विषय में चौपाई है “सैल विशाल देखि एक आगे, ता पर धाइ चढेउ भय त्यागे.” कही उसी का जिक्र नही हो.
तभी मोबाइल पर बात करने वाले शख्स ने जोर जोर से बोलना शुरू कर दिया. तब जाकर पता लगा कि उसकी पत्नि का फोन था. जो कह रही थी कि स्थानीय महाराष्ट्र मंडल में जनता की बेहद मांग पर सिर्फ दो रोज के लिए साडियों की सेल लगी है और साडियों की कीमतों में बेहद कमी कर दी गई है. कहते है कि सारा माल निकालना है. अत: मीटिंग छोडकर जल्दी से घर आजाओ. बाजार चलना है.

शिव शंकर गोयल

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