थाली-ताली ख़ूब बजाई,
दीपों से भी धरा नहायी ।
एकमेव होकर जन-मन ने,
दुनिया को ताक़त बतलाई ।
इसीलिए गौरव से कहते ,
सब कुछ भले अनेक हैं ।
जब- जब भी संकट आया है,
भारतवासी एक है ।
जाति- धर्म अलग न्यारे हैं ,
पर सबके चन्दा- तारे हैं।
एक धरा है , एक ही भानु ,
मिलजुलकर रहते सारे हैं ।
फिर से ऐसा ही परिचय दें ,
तभी हमारी टेक है ।
अनुशासित रहकर बतला दो,
भारतवासी एक हैं ।
– *नटवर पारीक, डीडवाना*