कल्कि अवतार

हास्य-व्यंग्य
पुराने समय में सूर्य-ग्रहण, चन्द्र-ग्रहण के समय हमारे देश में धार्मिक माहौल उभर जाता था. ग्रहों की इस भोगौलिक घटना को हमारे शास्त्रों में धार्मिक आस्था से जोडकर बताया गया है. कहा जाता है कि जब राहू और केतु ग्रह की छाया कुछ समय के लिए सूर्य, चन्द्र और पृथ्वी के बीच पडती है तो उनके मोक्ष के लिए रामायण, महाभारत, भागवत आदि की कथाएं हो, अधिक से अधिक कीर्तन, और जरूरतमंदों को दान-पुन्य हो.

dr. j k garg
ठीक ऐसा ही माहौल वर्तमान में कोरोना वायरस का पृथ्वी ग्रह पर पडे प्रकोप के कारण हमारे देश में हो रहा है. हालांकि इस नाम के किसी रस का हमारे शास्त्रों में कही जिक्र नही है. दिलचस्प बात यह है कि ठीक इसी समय त्रेतायुग में घटित रामायण की घटनाएं और द्वापर युग में हुई महाभारत को भी दिखाया जा रहा है जिसे लोग देख रहे है यानि त्रेता और द्वापर युगों को अब कलियुग में देखा जा रहा है अर्थात तीनों युगों का संगम होगया है.
प्रयागराज में जैसे गंगा-यमुना और सरस्वती का संगम है वैसा ही संगम तीनों युगों का देश में बन गया प्रतीत होता है. इसमें अभी सतयुग को और जुडना बाकी है क्योंकि अभी वह प्रयागराज में लुप्त सरस्वती की तर्ज पर लुप्त ही है. कहते है कि सतयुग के आकर मिलने पर ही चारो युगों का कोरम पूरा होगा. वैसे प्रयाग में सरस्वती लुप्त है लेकिन कभी किसी ने सवाल नही उठाया सब उसे लुप्त मानकर ही पूजा अर्चना करते आएं है ठीक यही मानकर चलना चाहिए कि सतयुग भी आने वाला ही है. बस, मीडिया के कहने भर की देर है.
सतयुग को मानकर चले तो उसमें घटित घटनाओं की तर्ज पर कुछ घटनाएं भी होगी ही. मसलन जब सनकादि ऋषी-मुनी विष्णु भगवान से मिलने वैकुन्ठ गए तो द्वार पर उन्हें द्वारपालों जय-विजय ने रोका तो मुनियों ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया कि तुम दोनों हर युग में दानव बनोगे. वह तो जब स्वयं भगवान वहां आगए तो उन्होंने बात संभाली और कहा कि मैं स्वयं हर युग में अवतार लेकर तुम्हारा उध्दार कर दूंगा, तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी.
फलस्वरूप दोनों का जंम सतयुग में हिरणाक्ष और हिरणकश्यप, त्रेता में रावण और कुंभकर्ण तथा द्वापर में कंस और जरासंध के रूप में हुआ और तीनों ही युगों क्रमश: सतयुग में नृसिंह और वराह अवतार, त्रेता में राम और द्वापर में कृष्ण के हाथों उनका उध्दार हुआ. श्रीमद भागवत और महाभारत की रचना करने वाले वेद व्यासजी ने कलियुग के बारे में अधिक नही बताया कि दोनों दानव कौन कौन किस रूप में प्रकट होंगे और उनका उध्दार कौनसा कल्कि अवतार करेगा ?

शिव शंकर गोयल

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